हरियाली कविताएँ - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'

हरियाली कविताएँ - कविता - कर्मवीर 'बुडाना' | Hindi Kavita - Hariyaali Kavitayen - Karmaveer Budana. कविता और कवि पर कविता
सागर की लहरों को उतरता देख यूँ लगता हैं
जैसे कोई टूटा पंख
हवा के झूले से लिपटकर
कवि के हाथों को छूना चाहता हो,
एक माली की तरह
मैं इस लहराती पँखुड़ी-सी क़लम को 
थामकर धरती का सौंदर्य लिखना चाहता हूँ,
दूनिया की लिखावट पानी की धार से रँगना चाहता हूँ।
मैं कवि हूँ, मुझमें संवेदना हैं, शिल्प भी हैं।
समुद्र की आँख से संवेदना लेकर आया हूँ,
मेरा शिल्प भी समुद्र की तरह एक रोज़ गूँजेगा
और बरसेगा साहित्य की बंजर छाती पर
और अंकुरित होंगी हरियाली कविताएँ॥


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