होली - कविता - आलोक कौशिक

होली - कविता - आलोक कौशिक | Hindi Kavita - Holi - Alok Kaushik. Hindi Poem On Holi Festival. होली पर कविता
प्रेम की पिचकारी लाना
घोलना सौहार्द के सारे रंग
वृंदावन के फाग गाना
ऐसे होली मनाना मेरे संग

होलिका संग हो ईर्ष्या दहन
तब लगाना मुझको गुलाल
निश्छल निःस्वार्थ हो मिलन
फिर रंग देना हरा या लाल

जब भी आता है फाल्गुन
खिल जाता प्रकृति का यौवन
कुछ ऐसा देना तुम शगुन
जीवंत हो जाए मेरा जीवन

आलोक कौशिक - बेगूसराय (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos