होली - कविता - रमेश चन्द्र यादव

होली - कविता - रमेश चन्द्र यादव  | Holi Festival Kavita - Holi Parv. होली के त्यौहार पर कविता
हर बुराई का करो दहन,
और अच्छाई को गले लगाओ।
यही महात्म्य है होली का।
ख़ुद समझो औरों को बताओ।
सदियों पहले एक बुराई ने,
था रिश्तों को बदनाम किया।
सगे भतीजे को ले गोदी में,
भीषण अग्नि दहन किया।
सोच रही थी बृह्मबाणी वह,
है अमिट ना मिथ्या होगी।
मैं तो बच ही जाऊँगी पर,
इस पृह्लाद की हत्या होगी।
जिस मानव को पराशक्ति पर,
विश्वास अडिग हो जाता है।
हार जाती है हर बुराई, वह
पृह्लाद भक्त हो जाता है।
यदि करोगे बुरा किसी का,
होली की तरह जल जाओगे।
प्रभु नरसिंह बन सघांर करें,
हिरण्यकश्यप यदि कहलाओगे।
ईश्वर पर विश्वास करो और,
ना बुराई को करो सहन,
अच्छाई को गले लगायो,
हर बुराई का करो दहन।
सीख यही इस महापर्व की,
सब घर-घर ख़ुशी मनाओ।
भेदभाव को मिटा धरा से,
प्रेम से सबको गले लगाओ।

रमेश चन्द्र यादव - चान्दपुर, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)

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