जीवन है अनमोल जगत में - कविता - रमेश चन्द्र यादव

जीवन है अनमोल जगत में - कविता - रमेश चन्द्र यादव | Hindi Kavita - Jeevan Hai Anmol Jagat Mein. Hindi Poem On Life. जीवन पर कविता
जीवन है अनमोल जगत में,
संभल कर क़दम उठाना रे।
ग़लती कोई हो जाए एकबार,
तो उसको ना दोहराना रे।
मत सोचो तुम हो अकेले,
नहीं कोई है साथ तुम्हारे।
पूछो ज़रा उन मात पिता से,
हो जिनके तुम राजदुलारे।
कभी किसी भी ग़लती से,
तुम इनको नहीं रूलाना रे।
जीवन है अनमोल जगत में,
संभल कर क़दम उठाना रे।
है पत्नी अर्धांगिनी तेरी,
बच्चे है आँखों के तारे।
बस तुमसे ही है इन दोनों के,
मीठे-मीठे सपने प्यारे।
गिरकर तुम यदि उठ ना सको,
तब ना ऐसी ठोकर खाना रे।
जीवन है अनमोल जगत में,
संभल कर क़दम उठाना रे।
सबसे मिलकर रहो प्रेम से,
है ख़ुशहाली का मन्त्र यही।
अपने घर में ही सबकुछ है,
तुम ना ढूँढ़ो अन्यत्र कहीं।
घर जैसी ख़ुशी कहीं मिले ना,
सबको ये समझाना रे।
जीवन है अनमोल जगत में,
संभल कर क़दम उठाना रे।

रमेश चन्द्र यादव - चान्दपुर, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos