मुझे नहीं चाहिए - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति

मुझे नहीं चाहिए - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति | Hindi Kavita - Mujhe Nahin Chahiye - Surendra Prajapati
मेरे पास कुछ भी नहीं है,
जहाँ थोड़ी देर बैठ कर सुस्ता सकूँ
न ईमानदार पसीने की महक
न कोई सार्थक पंक्तियाँ

कुछ निरर्थक शब्दों की आवाजाही में
आलोचना मुझे भीतर तक माँजती है
मैं कुछ जायज़ चीज़ों को तलाशता हूँ
औपचारिकता मुझे निराश करती है
स्वीकार नहीं सिर्फ़ खानापूर्ति से भरे शब्दों की पहेली
संदेह में अपनी ही नौतिकता को ताकता हूँ

सिर्फ़ मेरे पास संवेदना है
तिरस्कार में पला हूँ
इसलिए स्वर्ग का ऐश्वर्य मुझे नहीं चाहिए


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