पुण्य - कविता - मदन लाल राज

पुण्य - कविता - मदन लाल राज | Hindi Kavita - Punya  - Madan Lal Raj. पुण्य पर कविता
भरी दोपहरी में एक सज्जन ने–
घर के आँगन में पक्षियों के लिए,
सकोरे में पानी भरा।
तभी दरवाज़े पर एक शुष्क आवाज़ आई।
किसी ने प्यासा होने की गुहार लगाई।
तथाकथित सज्जन ने
प्यासे को घूरा,
ऊपर से नीचे तक भाँपा,
और रूखे स्वर में झिड़का–
कौन है?
और पुण्य अभी तक मौन है।

मदन लाल राज - नई दिल्ली (दिल्ली)

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