रंगोत्सव - कविता - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'

रंगोत्सव - कविता - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' | Holi Kavita - Rangotsav. होली पर कविता
रंगों का है उत्सव आया, नव ऋतु ले रही भोर
पतझड़ भी है गुज़र गया, धरा हुई आत्मविभोर

दिल में है प्रेम उमंग, छाया ढोल मृदंग का शोर
मुस्कान खिली हर मुख पे, मस्ती छाई चहुँओर

बैर भाव सब मिट गए, है उल्लास उमंग हर ओर
होली की पावन अग्नि में, पिघल गए चित्त कठोर

पिचकारी चली ज़ोर से, गलियाँ रंग से सराबोर
फाग उड़ाए गोपियाँ, नाचे माधव नन्दकिशोर

प्रेमरस की बहती धारा, चले फागुन गीत का दौर
हुआ तन सतरंगी मन सतरंगी, हाँ होली का है शोर

हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' - कोरबा (छत्तीसगढ़)

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