उनींदी आँखें - कविता - संजय राजभर 'समित'

उनींदी आँखें - कविता - संजय राजभर 'समित' | Hindi Kavita - Unindi Aankhen - Sanjay Rajbhar Samit
चैत्र मास
तपती धरा
टैंकर का पानी
यह कैसी बुद्धिमानी
पाउच में पानी!
एक तरफ़
मंगल ग्रह पर खोज
एक तरफ़
प्रकृति की चेतावनी 
बार-बार
फिर भी जाने क्यों मानव की
आँखें उनींदी है।


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