बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर - दोहा छंद - सुशील शर्मा

बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर - दोहा छंद - सुशील शर्मा | Doha Chhand - Bhimrao Ambedkar Dohe. भीम राव अम्बेडकर पर दोहे
महू में जन्में आप थे, जीवन था संघर्ष।
छूआछूत की पीर से, मन में भरा अमर्ष॥

शिक्षा के हथियार से, पाया उच्च मुकाम।
ज्ञान-साधना से रचा, स्वाभिमान का ग्राम॥

संविधान के शिल्प को, दे कर के आकार।
जात-पात को तोड़ कर, दिए दलित अधिकार॥

दलितों की निज पीर को, दी तुमने आवाज़।
अन्यायों के जाल में, फूँका क्रांति साज॥

सत्याग्रह की राह पर, सहा अछूता ताप।
संविधान ही श्रेष्ठ है, किया नीति का जाप॥

'शिक्षित ही आगे बढ़े', बाबा का संदेश।
संघर्षों के बीच भी, रख्खा सदा समेश॥

ऊँच नीच में भेद का, था समाज में दंश।
बाबा साहब ने दिया, समता करुणा अंश॥

बौद्ध धर्म में वो गए, मानवता के हेतु।
करुणा, समता, शांति का, खड़ा किया जन सेतु॥

धर्म वही जो मानवी, दे जो प्रेम-प्रकाश।
बाबा का सद आचरण, अनुकरणीय प्रयास॥

नमन तुम्हें मानव महा, तुम भारत की शान।
तेरे सपनों का बने, सबका हिंदुस्तान॥

सुशील शर्मा - नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)

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