हमनवाँ संग तेरे लम्हें ख़ुशगवार बन बैठे - ग़ज़ल - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज'

हमनवाँ संग तेरे लम्हें ख़ुशगवार बन बैठे - ग़ज़ल - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज' | Ghazal - Hamnavaan Sang Tere Lamhen Khushagawaar Ban Baithe
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़े
तकती: 22  22  22  22  22  22  2

हमनवाँ संग तेरे, लम्हें ख़ुशगवार बन बैठे
दिल तुमसे लगा, ख़ुद के ही गुनहगार बन बैठे

दिन में भी तुम्हें देख के जो अनदेखा करते थे
चाँदनी रातों में भी, तेरे तलबगार बन बैठे

अब तू ही कुछ तो, बंदोबस्त-ए-दवा-दारू कर
ए-चारागर, उल्फ़त में तेरी बिमार बन बैठे

इस क़द्र छाया, तेरी यादों का आलम हम पर
देखी बेबसी मेरी तो, आजुर्दा यार बन बैठे

यूँ तो मशवरा, हर बात पर संभलने का देते हैं
जैसे हम है नादाँ, सब होशियार बन बैठे

यूँ तो 'सुराज' आया ना, कभी बातों में किसी की
अब क्यूँ नजाने तुम ही, चैन-ओ-क़रार बन बैठे


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