निर्मल श्रीवास्तव - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
काम ऐसा हो कि तकरार न हो - ग़ज़ल - निर्मल श्रीवास्तव
शनिवार, अप्रैल 26, 2025
काम ऐसा हो कि तकरार न हो
जीत हो ना हो मगर हार न हो
ज़िंदगी मायने क्या रखती है
ज़िंदगी में मिला जो प्यार न हो
हुस्न को हुस्न कहा जाता है
जब तलक कि ये ऐबदार न हो
दुनियाँ में आने का मक़सद होगा
खोज लो के मिया बेकार न हो
भीड़ उमड़ी हो जहाँ हो ज़मीं कम
हादसा होगा हो तैयार न हो
कामयाबी नहीं मुश्किल 'निर्मल'
इश्क़ से बस कोई बीमार न हो
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