तेरे चेहरे पर मेरी हरकत रहती है - ग़ज़ल - कर्मवीर 'बुडाना'
रविवार, अप्रैल 06, 2025
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
तक़ती: 22 22 22 22 22
तेरे चेहरे पर मेरी हरकत रहती है
यूँ मेरी आँखों में उल्फ़त रहती है
धरती की वसुंधरा तुम ही हो क्या
एक घनश्याम में ही हसरत रहती है
ख़ाक के भँवर में यूँही फूल मिल गया
शायद मॉं की मुझ पे इनायत रहती है
वीराने में पसरी तू घनी हरियाली
उसकी सल्तनत में क़ुदरत रहती है
पतझड़ को दे दूँ दिल की नरमाई
आँखे नम उल्फ़ते दिवंगत रहती है
इस उदास गगन में तू परों की सरगम
अब क्षितिज में सोने सी रंगत रहती है
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