आईना झूठ नहीं बोलता - कविता - रत्नेश शर्मा

आईना झूठ नहीं बोलता - कविता - रत्नेश शर्मा | Hindi Kavita - Aainaa Jhooth Nahin Bolta - Ratnesh Sharma
सभी कहते हैं आईना झूठ नहीं बोलता
इन्सान हो या पर्वत-पहाड़
बेदाग़ चेहरा हो या दाग़दार
हू-ब-हू दर्शा देता है।
इसीलिए, नए दौर के लोग
आईना नहीं देखते क्योंकि,
आईना झूठ नहीं बोलता
सिक्के के दो पहलू की तरह
इसके भी होते हैं दो पहलू
एक वो जिसे लोग ख़ुद देखते हैं,
और दूसरा वो, जिसे
दिखाता है दूसरा आदमीं, दूसरे के आईने में
जो सही तस्वीर नहीं दिखाता।
दूसरे के आईने में इन्सान को हैवान
और हैवान को इन्सान दिखाता है आईना।

रत्नेश शर्मा - देवघर (झारखंड)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos