महेंद्र सिंह कटारिया - नीमकाथाना (राजस्थान)
है नारी हर युग में युग निर्माता - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
मंगलवार, अप्रैल 01, 2025
ममत्व भाव पाने को जिसका,
सदैव आतुर रहे स्वयं विधाता।
शील, शक्ति, सौंदर्य समन्विता,
है नारी हर युग में युग निर्माता।
स्नेह सुधा बरसा कर जिसने,
कण-कण में नवजीवन भरा।
धैर्य, तपस्या की मूरत बनकर,
हर संकट में पथ प्रखर किया।
कभी स्नेहमयी, कभी रणचंडी,
हर-एक रूप में वह सशक्त रही।
त्याग, तपस्या और प्रेम समर्पण,
इन्हीं गुणों से सदा अलंकृत रही।
सीता, सावित्री और मीरा जैसी,
एक-एक युग में जो प्रेरणा बनी।
कभी सरस्वती और कभी दुर्गा,
तो कभी शक्ति की साधना बनी।
सृजन, स्नेह एवं संवेदना से ही,
इस जगत को जिसने पाला है।
नमन करें उसे, जो इस धरा पर,
ममता की सरस सलिल धारा है।
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