तुम न बदलना - कविता - श्वेता चौहान 'समेकन'

तुम न बदलना - कविता - श्वेता चौहान 'समेकन' | Hindi Kavita - Tum Na Badalna - Shweta Chauhan. Hindi Poem on Love | प्रेम पर कविता
तुम न बदलना,
वक्त भले बदलता रहे।
इश्क़ का चिराग़
आँधियों में भी जलता रहे।
न मिल सको हर रोज़
तो कोई बात नहीं!
इतना सा दिख जाओ कि
निगाहों को आराम मिलता रहे।
न जाग सके तुम्हारे साथ
तो ख़्वाबों में ही सही
फ़क़त तुम्हारा साथ मिलता रहें।
तो क्या हुआ हम दूर हुए,
ज़िंदगी का सफ़र ऐसे ही चलता रहे।
हो हज़ार हमराही तेरी राहों में
मगर मेरी मौजूदगी का
एहसास तुझे खलता रहे।
न लिख सके हम
ख़त मुहब्बत के मगर
कोई तो ऐसा हो
जिससे हाल चाल मिलता रहे।
तुम न बदलना
वक्त भले बदलता रहें।


Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos