श्वेता चौहान 'समेकन' - जनपद मऊ (उत्तर प्रदेश)
तुम न बदलना - कविता - श्वेता चौहान 'समेकन'
बुधवार, अप्रैल 23, 2025
तुम न बदलना,
वक्त भले बदलता रहे।
इश्क़ का चिराग़
आँधियों में भी जलता रहे।
न मिल सको हर रोज़
तो कोई बात नहीं!
इतना सा दिख जाओ कि
निगाहों को आराम मिलता रहे।
न जाग सके तुम्हारे साथ
तो ख़्वाबों में ही सही
फ़क़त तुम्हारा साथ मिलता रहें।
तो क्या हुआ हम दूर हुए,
ज़िंदगी का सफ़र ऐसे ही चलता रहे।
हो हज़ार हमराही तेरी राहों में
मगर मेरी मौजूदगी का
एहसास तुझे खलता रहे।
न लिख सके हम
ख़त मुहब्बत के मगर
कोई तो ऐसा हो
जिससे हाल चाल मिलता रहे।
तुम न बदलना
वक्त भले बदलता रहें।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर