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विधा/विषय "अकेलापन"
कहाँ जाना है? - कविता - संजय राजभर 'समित'
बुधवार, फ़रवरी 26, 2025
अब मुझे अच्छा लगता है अकेलेपन से। मेरे साथी हैं टूटी-फूटी छप्पर बढ़े बाल-दाढ़ी मटमैले कपड़े रूखी-सूखी रोटियाॅं और अपनी कल्पनाएँ, चिंतन…
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