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विधा/विषय "खोरठा"
मिटे नायं दिहा माटिक मान - खोरठा कविता - विनय तिवारी
गुरुवार, दिसंबर 26, 2024
जखन हाम होसेक दुनियाएं डेग राखल हलों तखनी से तोर नारा, पोस्टर बैनर मीटिंग सिटिंग देख हलों आपन माटी, आपन भासा, आपन संस्कृति,आपन राइज के…
झारखंड के माटी - खोरठा कविता - विनय तिवारी
मंगलवार, दिसंबर 10, 2024
झारखंड के माटी दादा ,पूजे के समान रे, झारखंड राइज हामर देसेक सान रे, देसेक सान ऐ दादा, देसेक सान रे। देसेक सान ऐ बहिन देसेक सान रे॥ पह…
हामर पेटेक आइगीं - खोरठा कविता - विनय तिवारी
गुरुवार, जून 29, 2023
हामर पेटेक आइगीं पोइड़ के बानी-छाय होय जाय हामर हिंछा, हामर बुधि हामर उलगुलान, हामर सोच हामर पेट आर माड़-भात। एकर बिचें हाड़तोड़वा काम ज…
बिटिया करे सवाल - खोरठा कविता - रवि शंकर साह
शनिवार, सितंबर 19, 2020
बेटा होले कुल के दीपक । हम होलिये ज्योति गे माय। बेटा तो बदमाशों हो झे बेटी तो होवे झे एक गाय। दुनिया के ई केसन रीति रिवाज केसन झे इ स…
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