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विधा/विषय "गीतिका"
चावल उबला पीच रहा है - गीतिका - अविनाश ब्यौहार
सोमवार, अक्टूबर 18, 2021
चावल उबला पीच रहा है, माली पौधे सींच रहा है। क़ातिल सा अंधेरा देखा, एक किरण को भींच रहा है। सूरज ने बादल जब देखा, अपनी आँखें मींच रहा ह…
नारी - गीतिका - अर्चना बाजपेयी
शुक्रवार, सितंबर 17, 2021
आँसू पीकर बनी सिंहनी, सदा पिलाया जग को क्षीर। बेचारी मत समझो मुझको, हूँ गुलाब पर देती चीर।। दिए राष्ट्र को भगत बटेश्वर, गाँधी और वीर आ…
संस्कार निभाना - गीतिका - विशाल भारद्वाज 'वैधविक'
सोमवार, सितंबर 06, 2021
जीवन में आचार निभाना। तुम अपना संसार निभाना। पा लेना कुछ पाना हो तो, तुम अपना आभार निभाना। रिश्तों में मिलते है धोखे, तुम अपना बस प्या…
रेत सी ज़िंदगी - गीतिका - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
शनिवार, मई 08, 2021
रेत-सी ज़िंदगी मुट्ठियों में भरी, कब फिसल जाए इसका भरोसा नहीं। खुल न जाएँ किसी हाल में मुट्ठियाँ, बस यही डर हमें जीने देता नहीं। टूट जा…
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