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विधा/विषय "ग्रीष्म ऋतु"
ग्रीष्म ऋतु - कविता - सुनीता प्रशांत
सोमवार, जून 17, 2024
आकाश हो गया चुप धरा ने धरा मौन मन हुआ कुछ उदास ये मौसम आया कौन हवा हो रही ऊष्ण भास्कर भी तमतमाया घने वृक्षों की डालों पर खग ढूँढ़ते छाय…
ग्रीष्म - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
सोमवार, मई 15, 2023
टपक रहा है ताप सूर्य का, धरती आग उगलती है। लपट फैंकती हवा मचलती, पोखर तप्त उबलती है॥ दिन मे आँच रात में अधबुझ, दोपहरी अंगारों सी। अर्द…
ग्रीष्म ऋतु - कविता - अनिल कुमार
सोमवार, मई 09, 2022
किसी अबला के कपोलों पर शुष्क आँसुओं की लकीरों जैसे नदियाँ शुष्क कुछ गीली पड़ी है अंखियों में आँसू रीत गए जैसे तड़ाग खाली, सूखे-नीरस पड…
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