संदेश
माँ की महर - देव घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
माता ममतामयी मूरत मनोहर मान, मन-मन्दिर महान मध्य में महर-महर। मानवता मधुरता महानता महीश्वरी, माता मन मत दुखाओ दिल दहर-दहर। माता प्रेम …
हमदर्द - रूप घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
मित्र-मित्र की कही जान जान ज़रा जवान, मेरे मीत-मीत का कठिन कर्त्तव्य कहान। वफ़ादार विश्वसनीय विवेकी विचारक, सच्चाई समझदारी संग सोचत सोहा…
भारत का प्राकृतिक सौंदर्य - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
भारत निराला देश, देश में हैं सभी वेश, वेश भूसा जैसे संग, रंग की तरंग है। देश है कृषि प्रधान, धान गेहूँ पहचान, तान सीना खलियान, दान की …
घुमड़-घुमड़ घनघोर घटा छाए रही - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
घुमड़-घुमड़ घनघोर घटा छाए रही, स्वेत घन श्याम बन गगन गर्जन लगे। लगत है बच रहे इन्द्र के नगाड़े आज, दानव दलन देव रण में सजन लगे। उमड़ प…
ज्ञान दीन - घनाक्षरी छंद - महेश कुमार हरियाणवी
उसे घर से निकाला घर जिसने संभाला। पढ़े-लिखे बगुलों का काला किरदार है। माया जिन पे चढ़ादी देह अपनी लुटादी। बोलियाँ वे बोलते की पैसा सरदार…
करो मात-पिता सेवा - मनहरण घनाक्षरी छंद - अजय कुमार 'अजेय'
करो मात-पिता सेवा, मिले जीवन मे मेवा, ऐसे महानुभाव का, भाग्योदय मानिए। सदा सेवा भाव रखे, मान सम्मान भी करे, जग में सबसे बड़ा, बादशाह ज…
नमन - मनहरण घनाक्षरी छंद - महेश कुमार हरियाणवी
खगोलीय जहान हो, या गूँजता विमान हो, अपने तिरंगे का तो, अलग मक़ाम है। तकनीक का है जोर, चमके हैं चारों ओर, पैर धरती पे म्हारे, हाथ में लग…
बरसा ऋतु मन भावन - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
बरसा की ऋतु मन भावन सुभावन है, तन मन डाले संग उठत उमंग हैं। हरियाली ख़ुशहाली लाई ऋतु मतवाली, ताली बजा बजा नाचे सब एक संग हैं। ख़ुश ह…
सादगी - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
सत्य शील सादगी हो, ईश्वर की बंदगी हो। आचरण प्रेम भर, सरिता बहाइए। संयम संस्कार मिले, स्नेह संग सदाचार। शालीनता जीवन में, सदा अपना…
मन में रही नहीं - घनाक्षरी छंद - अभिषेक बाजपेयी
सत्य से जुड़ा सदैव ही रहा हूँ जीवन में, झूठ की कुसंग बचपन से रही नहीं। अधिकार छीनते जो उनसे लड़ा हूँ किंतु, धर्म के विरुद्ध शक्ति त…
धनतेरस - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
धन की देवी लक्ष्मी, सुख समृद्धि भंडार। यश कीर्ति वैभव दे, महालक्ष्मी ध्याइए। नागर पान ले करें, धूप दीप से पूजन। दीप जला आरती हो, र…
हिंदी भाषा - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
हिन्दी भाषा जानो! हिन्द जो है मेरा अभिमान, मातृभू की वंदनीय, भाषा सुखदायी है। सरल सहज तान, स्वर लय माला गीत, पहचान हमारी जो, हिन्दी…
हरि - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
कमल नयन पट, नमन सकल जर, खलल जगत जब, हरि उठ छल धर। तप जप वश कर, बम शिव धर वर, मटक कमर तब, भसम करत खर। क़हर परशुधर, बरसत डटकर, क्षत्र वध …
गुरु महिमा - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
गुरु ज्ञान का अमृत, जिसका न कभी अंत। अज्ञानता गुरुवर, करते हरण-हरण॥ दीप ज्ञान का जलाए, अंधकार को मिटाए। नमन वंदन गुरु, कमल चरण-चरण॥ कर…
शशिधर बम बम - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
तिलक विजय सज गंग लट जट सट। हर हर सब पर बम बम बम बम॥ कंठ पर विषधर विष पिय जमकर। बम बम बम बम हर हर बम बम॥ सरपट करतल अपपठ फट कर। उग्र भव…
आया महीना जून का - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
आया महीना जून का, सूरज उगले आग। चिलचिलाती धूप में, बाहर ना जाइए। गरम तवे सी धरती, बरस रहे अंगारे। आग के गोले सी लूएँ, ख़ुद को बचा…
नारी सशक्तिकरण - घनाक्षरी छंद - संगीता गौतम 'जयाश्री'
ममता की मूरत हो, भला सा एहसास हो। आँचल में नेह भरा, प्रेम का आवास हो।। सृष्टि का निर्माण किया, वंश बढा धरा बनी। जहाँ नहीं दुख दिखे, सु…
होली आई है - घनाक्षरी छंद - डॉ॰ सुमन सुरभि
1 चहुँ दिश उड़ रहा, रंग औ गुलाल सखी, सतरंगी चुनरी में, सज होली आई है। लाल हैं कपोल और, पीत रंग दिव्य भाल, कंचुकी भी प्रीत भरे रंग में, …
प्यारा-प्यारा हिन्द देश - देव घनाक्षरी छंद - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
प्यारा-प्यारा हिंद देश, भिन्न-भिन्न भाषा वेश। पर रहती एकता, बसता उर में वतन।। झंडा रहे सदा ऊँचा, चाहे ये देश समूचा। भारत माता का शीश, …
मन-मंदिर - जलहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
आस्था विश्वास रहते, प्रेम सद्भाव बहते, मनमंदिर में जोत, जगाते चले जाइए। महकते पुष्प खिले, ख़ुशबू जग में फैले, शब्द मोती चुन चुन, रिश्तो…
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