संदेश
परम्परागत और वैज्ञानिक कृषि जल संकट और जीवनशैली - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में बढ़ती हुई जनसंख्या और और कृषि योग्य भूमि की कमी से खाद्य संकट संभावना बढ़ रही है और इसकी आपूर्ति के ल…
मैं जल हूँ - कविता - जितेन्द्र शर्मा
मैं जल हूँ! मैं श्वेत धवल हूँ शीतल हूँ। मैं जल हूँ! मैं जल हूँ। नभ से झर कर इस तप्त धरा पर, स्वयं को खोकर सुख पाता हूँ। मैं अजर अमर मै…
जल जीवन है इसे बचाएँ - आलेख - डॉ॰ शंकरलाल शास्त्री
अप्सु भेषजम्। जल औषधि है। जल का ही दूसरा नाम जीवन भी है। समूचे विश्व में प्रतिवर्ष विश्व जल दिवस मनाया जाता है। चारों और बड़े-बड़े विज…
बूँद में जीवन - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
जब भी एक बूँद निकलती है भला वह क्या जाने ज़मीन पर जाकर वह किस से मिलती है? फिर भी कर्म के पथ पर चलकर वह नदी, पोखर, तालाब, कीचड़, नाली,…
जल ही जीवन है - कविता - महेन्द्र सिंह राज
जल ही जीवों का जीवन है, ना जल को बरबाद करो। बहुत ज़रूरी जल संरक्षण, सरवर जल आबाद करो।। बिना पानी तव कृषि सुखानी, भूमि सूख होगी मरुथल…
जल का महत्व - कविता - कवि सुदामा दुबे
जल से ही पैदा होते हैं अंत काल जल जाते है, जल से ही संबंध है सारे जल से रिश्ते नाते है। गीता रामायण मे मिलती महिमा इसकी मिले पुराण, कर…
जल ही जीवन है - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जल से जीवन है जगत, जीवन है आधार। चलो बचाएँ आज मिल, कुदरत इस उपहार।। जल जीवन का संचरण, ईश्वर का वरदान। रखें स्वच्छ निर्मल सलिल, बचे तभी…
विश्व जल दिवस - लेख - सुनील माहेश्वरी
हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में हम लोग मनाते हैं, पर जब तक हम ख़ुद को बदलकर जल को बचाने के हर भरसक प्रयास ख़ुद से नहीं करें…
जल संरक्षण - गीत - संजय राजभर "समित"
नीर है तो कल है कल-कल बचा ले। बूँद-बूँद ही सही पल-पल बचा ले।। जलचर आज विलुप्तता के जाल में, चले जा रहे हैं काल के गाल में। अब पट गए …
बिन पानी के धरती सूनी - गीत - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
हमें जिलाए रखता पानी, है जीवन आधार। बिन पानी के धरती सूनी, सूना यह संसार।। भोजनादि के लिए जरूरी, पानी का उपयोग। साफ-सफाई करते इससे, सि…
जल संरक्षण, जन ज़रूरत - लेख - अंकुर सिंह
हम जिस देश में रहते है उस देश के प्रमुख शहरों और वहां के सभ्यता को विकसित करने में नदियों का महत्वपूर्ण भूमिका है और नदियों का अस्तित्…
पानी - कविता - उमाशंकर राव "उरेंदु"
जरा गर्दन उचकाकर देखो आसमान की तरफ धरती पर आने को आतुर है कोई बूँद बनकर पेड़ों की फुनगियां पकड़ कर पर हाय! तुम निष्ठुर ! धरा के सारे…
जल है तो कल है - कविता - सुनीता रानी राठौर
जल बचाओ जीवन बचाओ, नदी का जल स्वच्छ बनाओ। तालाब में जल संग्रहित कर, वर्षा के बहते जल बचाओ। जल है तो सबका जीवन है, हर प्राण…
जल के बिना न जीवन है - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जल ही तो जीवन है यारों , सूक्ति सुनी ये होगी । जलमय ही शरीर मानव का, मुक्ति इसी से होगी । इंद्रदेव अरु वरुण देव भी , जलमय रू…
जल - कविता - गौतम कुमार
बढ़ रही है इस धरा पर , प्रतिदिन आबादी। व्यर्थ ना बहाएँ जल को , करें ना इसकी बर्बादी।। दुनियाँ को अब दिखा रहें हो , मूर्ख त…
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