संदेश
विधा/विषय "जीत"
हार जीत - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
शुक्रवार, अप्रैल 01, 2022
हार हो या जीत ये है हमारी प्रीत, जैसा करें विचार वैसे ही व्यवहार। हार सिर्फ़ हार नहीं है अपना विचार भी है, जीत कोई अनूठी चीज़ नहीं महज़ आ…
हार में है जीत - कविता - विनय "विनम्र"
गुरुवार, मई 06, 2021
कुछ समय जीता और कुछ लोग हार गए हारने वाला अक्सर पीछे मुड़कर और जीतने वाला आगे झुककर देखता है। बहुत हीं चित्कार पूर्ण आवाज़ रुदन को रोककर…
जीत की एक आस - कविता - ज़हीर अली सिद्दीक़ी
बुधवार, दिसंबर 30, 2020
भूख की तासीर से चाहत बदलनी चाहिए, चाहतों का सिलसिला सपनों में आना चाहिए। नींद से उठकर महज़ प्रयास करना चाहिए, गिर गया तो क्या हुआ हुंका…
मै शून्य ही सही - कविता - तेज देवांगन
बुधवार, नवंबर 25, 2020
मै शुन्य ही सही पर एक अदब है मुझमें। ज़िंदगी जीने की शबक है मुझमें। हारना तो मैने सीखा ए बचपन से पर हार कर, जीत की कशक है मुझमें। ना झ…
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