संदेश
विधा/विषय "डोली"
डोली चली जब - कविता - अंकुर सिंह
मंगलवार, मार्च 30, 2021
डोली चली जब बाबुल घर से, माँ बोल उठी अपनी सुता से। हुई पराई अब तुम बेटी, नाता तुम्हारा अब उस घर से।। तात कह रहे अब सुता से, तुम पराई ह…
चली डोली अरमानों की - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गुरुवार, अक्टूबर 29, 2020
चली डोली अरमानों के सुनहले पथ, सजा ख्वाव खूबसूरत ले अफ़साने। भावों को समेटे अन्तर्मन स…
विशेष रचनाएँ
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