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विधा/विषय "दशरथ माँझी"
दशरथ माँझी - कविता - गोकुल कोठारी
सोमवार, नवंबर 14, 2022
फड़कती भुजाओं का ज़ोर देखा, क्या ख़ूब बरसे घनघोर देखा। कर्मों की बहती दरिया देखी, उससे निकलती नई राह देखी। इतिहास रचने की चाह देखी, माँझ…
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