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विधा/विषय "दुल्हन"
दुल्हन - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
रविवार, जुलाई 10, 2022
मेहँदी भरे हाथ और किए सोलह शृंगार, मन में उथल पुथल कि जाने कैसा होगा ससुराल। नाज़ुक मन है, नाज़ुक तन है, और है दिल में भाव अपार, क्या सा…
दुल्हन - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
गुरुवार, अप्रैल 22, 2021
मेहँदी भरे रचे हाथ और किये सोलह शृंगार। मन में उथल-पुथल कि जाने कैसा होगा ससुराल।। नाजुक मन है, नाजुक तन है, और है दिल में भाव अपार। …
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