संदेश
हमने फहराकर तिरंगा कर दिया ऐलान है - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी 'नितान्त'
हमने फहराकर तिरंगा कर दिया ऐलान है देख लो दुनिया ये ताक़त है हमारी शान है है हमें इश्क़-ए-वतन इस पर ये जाँ क़ुर्बान है हिन्द ही तो शान है…
गणतंत्र की गूँज - कविता - रतन कुमार अगरवाला 'आवाज़'
नव चेतना का पर्व गणतंत्र आया, भारत का गौरव चहूँ ओर छाया। छब्बीस जनवरी का दिन महान, संविधान का गा रहा गर्वित गान। लोकतंत्र की है अनमोल …
सपथ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सपथ आज गणतंत्र दिवस पर गाएँ गौरव गान तुम्हारा। मातृभूमि तुम अमर रहोगी जब तक गंगा-यमुना धारा। और अचल हिमगिरि सा उन्नत जब तक ज्योतित ध्र…
भारत का प्राकृतिक सौंदर्य - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
भारत निराला देश, देश में हैं सभी वेश, वेश भूसा जैसे संग, रंग की तरंग है। देश है कृषि प्रधान, धान गेहूँ पहचान, तान सीना खलियान, दान की …
हूँ लाल इस माटी का - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
मातृभूमि की ख़ातिर, हाँ कुछ भी कर जाऊँगा। रहा अब तक था बेनामी, शान वतन की बढ़ाऊँगा। बनके काल रिपुदल का, पताका तिरंगा फहराऊँगा। हूँ लाल …
गणतंत्र तिरंगा प्यारा है - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
भारत मेरे प्राण समझ लो, भारत ही पौरुष मेरा है। देवों ऋषि सन्तों की धरती, नव शौर्य शक्ति जय धारा है। हरित क्रांति ऊर्जा भू उर्वर, कोषाग…
अपना हिंदोस्ताँ - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा 'सूर्या'
जिसकी माटी भी मलयज से कमतर नहीं, देश जिससे यहाँ कोई बेहतर नहीं। जिसके मस्तक पे हिमगिरि सुशोभित रहे, जिसके चरणों को छूकर के सागर बहे। ज…
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