संदेश
बिखरे ना हमारा बंधन - कविता - अंकुर सिंह
अबकी जो तुमसे बिछड़ा, जीते जी मैं मर जाऊँगा। रहकर जग में चलते फिरते, ज़िंदा लाश कहलाऊँगा॥ रह लो शायद तुम मुझ बिन, पर, मेरा जहाँ तुम बिन…
तेरे मन का मैं ही राजा - गीत - संजय राजभर 'समित'
मैं जानता हूॅं राज़ तेरा, खोई-खोई रहती हो। तेरे मन का मैं ही राजा, आँखों से तुम कहती हो। तुझे जाना होता है कहीं, पर, कहीं पहुॅंच जाती ह…
पति-पत्नी - कविता - विजय कुमार सिन्हा
दो अनजाने परिवारों के बच्चे बंधते हैं एक साथ परिणय सूत्र में परिणय सूत्र में बंधते ही हो जाते हैं जीवन भर के लिए एक दूसरे के लिए। और …
पति-पत्नी का प्यार - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
दिन कटता कशमकश में, रात रार ही रार। किन गलियों में खो गया, पति-पत्नी का प्यार॥ पति-पत्नी का प्यार, दिख रहा अंजानों सा। पीठ खाट पर जोड़,…
काश मैं मोबाइल होती - लघुकथा - अंकुर सिंह
"आज काम बहुत था यार, बुरी तरह से थक गया हूँ।" सोफ़ा पर अपना बैग रखते हुए अजीत ने कहा। "अजीत, जल्दी से फ्रेश हो जाओ तु…
हाय ये बेरुख़ी - लघुकथा - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
आज साहिल और सरिता की मैरिज एनिवर्सरी है। साहिल बहुत ख़ुश है, वह ख़्वाब सजा रहा है कि सरिता आज अच्छे से शृंगार करेगी, उसकी पसन्द की साड़ी …
मैं सुहागन तेरे कारण - गीत - आशीष कुमार
मैं सुहागन तेरे कारण तेरे कारण ओ सजना जो तू नहीं तो फिर क्या ये बिंदी क्या कंगना मैं सुहागन तेरे कारण तेरे कारण ओ सजना। जब से तेरा साथ…
हमसफ़र - कविता - शेखर कुमार रंजन
अग्नि को साक्षी मानकर प्रेयसी, सात जन्मों तक वचन निभाऊँगा। अंतरंग ललाम सबब है भार्या, जो मैं तुमसे चित्त लगाऊँगा। मैं तुम्हारे अरमानों…
सात जन्मों के सातों वचन - कविता - शालिनी तिवारी
बढ़ रहे हैं दो अजनबियों के क़दम, लेने सात जन्मों के सातों वचन, दोनों के दिलों में है यह उलझन, क्या निभा पाएँगे सात जन्मों के सातों वचन?…
रूठ गए हैं पिया हमारे - गीत - संजय राजभर 'समित'
काजल कंगन बाली झुमका, ख़ुद को ख़ूब सजाऊँगी। रूठ गए हैं पिया हमारे, उनको आज मनाऊँगी। छोटी-छोटी बातों में हम, जीवन नहीं गँवाएँगे। इस चार…
अँगूठी का निशान - कविता - शिवानी कार्की
उसके गाल पर निशान है आज शायद अँगूठी का हैं, वो ज़रा ख़ुश हैं आज अपने ऑफ़िस में, सबको बता रहा हैं शिकवा नहीं हैं उसको, बड़ा गर्व जता रहा …
मैं मान रहा हूँ हार प्रिये - गीत - संजय राजभर 'समित'
मान जाओ हे! महारानी, हम ग़लती से क्यूँ रार किए? अच्छा तुम ही जीतीं मुझसे, मैं मान रहा हूँ हार प्रिये। भोली-भाली छैल छबीली, हया से …
साथ निमाएँ उम्र भर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दाम्पत्य प्रणय मन माधवी, माघी माह वसन्त। मनमोहन माधव मधुर, सुरभित सुमन अनन्त।। साथ निभाए उम्र भर, हम जीवन की साज। सतरंगी ग़म या ख़ुशी, प…
ग़लतफ़हमी - गीत - संजय राजभर 'समित'
सुन रे! सखी कैसे बताऊँ? बैठी हूँ मैं उलझन में। दिन तो कहा-सुनी में बीता, रात कटी है अनबन में। कैसे करूँ चैटिंग किसी से, रोज़-रोज़ शक क…
तुम्हारे बिना अधूरा हूँ - कहानी - अंकुर सिंह
"तलाक़ केस के नियमानुसार आप दोनों को सलाह दी जाती हैं कि एक बार काउंसलर से मिलकर आपसी मतभेद मिटाने की कोशिश करें।" तलाक़ केस क…
दक्षिणपंथी पत्नी, वामपंथी रोटी एवं कोविड - कहानी - रामासुंदरम
आज सुमन को कोविड पॉजिटिव हुए पाँच दिन बीत चुके थे। अभी से उसे आइसोलेशन खाए जा रहा था। जिस घर की हर ईंट उसे पहचानती थी, वहीं उसे एक कोन…
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