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विधा/विषय "पाप पुण्य"
पुण्य - कविता - मदन लाल राज
सोमवार, मार्च 17, 2025
भरी दोपहरी में एक सज्जन ने– घर के आँगन में पक्षियों के लिए, सकोरे में पानी भरा। तभी दरवाज़े पर एक शुष्क आवाज़ आई। किसी ने प्यासा होने की…
पाप पुण्य - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सोमवार, दिसंबर 20, 2021
पाप पुण्य परिभाषा जग में, कर्म फलित मानक होता है। मानदण्ड वे संस्कार मनुज, सदाचार धारक होता है। सत्संगति चलता जीवन पथ, सत्कर्म पुण्य ब…
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