संदेश
विधा/विषय "पास"
बस! रहो तुम मेरे पास प्रिये - कविता - प्रवीन 'पथिक'
बुधवार, जनवरी 29, 2025
जीवन क्या एक पतझड़ है! खिलना और बिखरना है, दुःख का तो आना जाना है। गिरना फिर उठकर चलना है। जब याद तुम्हारी आती है, आँखों में आँसू आते …
आज तू मेरे पास बैठ जा - कविता - आर एस आघात
बुधवार, नवंबर 11, 2020
आज तू मेरे पास बैठ जा, दिल फरियाद ये करता है। मुझको मेरा वक़्त लौटा दे, या मुझको बदनाम न कर। आज तू मेरे पास... यूँ तन्हा ये वक़्त न कटता…
दूर है न पास है - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
शनिवार, अगस्त 01, 2020
ये दिल बहुत उदास है, न भूख है, न प्यास है न मंजिलों की है ख़बर , न कोई भी क़यास है समझ को छोड़कर गयी समझ , ग़ज़ब हुआ सुनो वो गैर है …
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