संदेश
नन्हा-सा पौधा - कविता - बिंदेश कुमार झा
धरती की छत तोड़कर, एक पौधा बेजान-सा आकार, सूर्य की लालिमा से प्रोत्साहित उठ रहा है देखने संसार। बादलों ने चुनौतियाँ दीं पत्थर की बूंदे…
पेड़ की व्यथा - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
पेड़ की व्यथा, आँसुओं की कथा। यह कुछ पीली मशीनें, यह कुछ आरी सी कीलें। रस्सी के फंदे, जमघट मज़दूरों का, पेड़ अकेला थर्रा पड़ा। काटने वा…
वे बच्चे - कविता - सोनू यादव
वे बच्चे जिन्हें मैं दूर से ही देख रहा हूँ एक टक अपनी झिलमिलाती आँखों से, अपने ही घर के सामने बाग़ के एक पेड़ की टहनियों पर चढ़ते औ’ फ…
पौधे सा जीवन - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
हरियाली की चाहत लेकर, पौधा जो दुनिया में आता है, मिलती उसको तपन धूप की, कभी बिन पानी के रह जाता है। दुनिया को सुख देने की चाहत में, ज…
एक ठिगना पौधा - कविता - संजय कुमार चौरसिया 'साहित्य सृजन'
एक विशालकाय तरु के नीचे, ख़ुद उसकी पत्तियों से ढका हुआ, पृथ्वी का अर्द्ध छिपा भाग, जिसको देखते भावों में एक अभिव्यक्ति का नया अवतरण सीध…
अररररे! ये क्या कर आए तुम - ग़ज़ल - रज्जन राजा
अरकान : फ़ऊलुन मफ़ऊलु फ़ऊलुन फ़ा तक़ती : 122 221 122 2 अररररे! ये क्या कर आए तुम, उजाड़ कर धूप के साए तुम। इक अपना घर बनाने के वास्ते,…
मञ्जरी - कविता - मृत्युञ्जय कुमार पाण्डेय
सज रहीं जो कोंपलें शृंगार करती तरुवरों की, उस कोंपल की ध्येय बनती मैं हूँ तरु की मञ्जरी। तरु जो विहग को वास देते, आस देते, उस तरु की च…
विशेष रचनाएँ
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