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वसंत ऋतू - कविता - सुनीता प्रशांत
हुई है कुछ आहट-सी रुन झुन करती आई हवा जागी है कोई उमंग-सी गगन भी है मुसकाया पीत वसन धरे धरा ने कलियों से शृंगार किया भ्रमर, पपिहा लगे …
वासंती उल्लास - कविता - मयंक द्विवेदी
बीत गए दिन पतझड के कलियों तुम शृंगार करो मधुर मधु-सरिता छलका मधुकर पर उपकार करो नील गगन के नील नयन से शबनम की बौछार करो हरित कनक की लड…
आ गया वसन्त है - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
नव कोपले हैं खिल उठी, कोयल ने छेड़ा राग है। नव कान्ति से शोभित हुआ, हर खेत और हर बाग़ है। अलसी के नीले फूलों से, सज गई हैं धरती माँ। सर…
सुन्दर बसन्त - कविता - निर्मल कुमार गुप्ता
सुन्दर बसन्त, मनभावन है, सुन्दर किसलय और पावन है। हर तरफ लरजती छटा निराली, हर मन मन्दिर में, छाई ख़ुशहाली। आज धरा का, नव शृंगार हुआ है,…
बसंत का आगमन - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
जब मधुमास की मधुर गंध है बिखरती, वन-वन, उपवन, भूमि मुस्कान से संवरती। सरसों के खेतों में चंपई झलक है, धरती की चुनरी पर किरणों की महक ह…
वसंत पंचमी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शुक्लपक्ष दिन पञ्चमी, वासंती मधुमास। सरस्वती पूजन सविधि, अरुणिम ज्ञान प्रभास॥ करो कृपा माँ शारदे, मिटा त्रिविध मन पाप। सदाचार जीवन चरि…
बुद्धि विवेक सृजन की देवी - गीत - उमेश यादव
बुद्धि विवेक सृजन की देवी, ज्ञान का विस्तार है। प्रज्ञा माता, माँ गायत्री, आपकी जय जय कार है॥ नवयुग की अरुणोदय वेला, नवल सृजन का शंख ब…
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