संदेश
विधा/विषय "बुज़ुर्ग"
शायद यहाँ अब कोई हमारा नहीं - कविता - मयंक द्विवेदी
शनिवार, दिसंबर 07, 2024
(घर के बुज़ुर्गों के मृत्यु हो जाने के बाद घर की स्थिति पर रचना) अब आँगन की चिड़ियों को दाना देता नहीं इन पंछियों को अब कोई खिलाता नहीं …
अंतिम संस्कार का विज्ञापन - कहानी - मानव सिंह राणा 'सुओम'
मंगलवार, जनवरी 24, 2023
विज्ञानपन देखा तो हिल गए राजमणी त्रिपाठी। “कैसा कलियुग आ गया है? अब माँ बाप के लिए बच्चों पर इतना समय नहीं कि वह उनको अपना समय दे सके …
मुखाग्नि - कहानी - डॉ॰ वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज
गुरुवार, जनवरी 12, 2023
बंसीलाल अब एकदम बूढ़े हो चले थे। अपने से चलना-फिरना भी अब मुश्किल-सा हो रहा था। पाँच-पाँच बेटे पर सभी अपने-अपने मतलब के। पत्नी पहले ही…
पीढ़ी का अंतर - लघुकथा - मंजिरी 'निधि'
शुक्रवार, अक्टूबर 22, 2021
हैलो! कैसी है? तबियत तो ठीक है ना? रोहिणी ने कल्पना से पूछा। कल्पना बोली हाँ बस ठीक ही हूँ । बेटा-बहु बच्चों के साथ आज नखराली ढाणी गए …
बरगद और बुज़ुर्ग तुल्य जगत - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
बुधवार, अक्टूबर 06, 2021
युवाशक्ति आगे बढ़े, धर बुज़ुर्ग का हाथ। बदलेगी स्व दशा दिशा, देश प्रगति के साथ।। बरगद बुज़ुर्ग तुल्य जग, स्वार्थहीन तरु छाव। आश्रय किसलय …
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