संदेश
परमात्मा है कौन? - कविता - विनय कुमार विनायक
परमात्मा है कौन? पूछो परमात्मा से परमात्मा नहीं है मौन! परमात्मा नहीं कोई व्यक्ति, परमात्मा नहीं कोई अलग शक्ति, परमात्मा है समग्र समष्…
भक्त और भगवान् - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अनुपम मधुरिम अरुणिमा, शुभ प्रभात उत्थान। पूजन वन्दन शुद्ध मन, भक्त और भगवान्॥ खिले कुसुम सरसिज सरसि, कुसुमाकर वरदान। भक्ति भक्त चित…
अटूट विश्वास - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
भगवान बसते कण-कण में, कहाँ-कहाँ खोज मैं आया, मूर्ति गड़ ली, शिला तराशी, देव का वास विश्वास में पाया। कुरुक्षेत्र में योद्धा लाखो है, …
मेरे प्रभु - कविता - चंद्रमणि ओझा
हे प्रभु! तुम्हीं बस हो एक हमारे, तुम्हीं हो नैया तुम्हीं किनारे। तुम्हारी करुणा में जी रहे हम, तुम्हीं से चलती साँसें है हरदम। ये कह …
विश्वात्मा हो कहाँ तुम? - कविता - कार्तिकेय शुक्ल
मैं तो कुछ कहता नहीं, फिर भी मेरी आँखें हैं कहती। जो कभी मैं देखता नहीं, वे सारी राज़ हैं ये खोलती। और कि विश्वास मेरा कहता है चीत्कार …
घट - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
घट है माटी से बना, लगा अल्प सा दाम। लू में शीतल वारि दे, आता बहुतों काम।। घट-घट में भगवान हैं, जीव जीव में जान। हर प्राणी भगवान का…
ईश्वर की चाह - लघुकथा - गोपाल मोहन मिश्र
अपने गुरु के पास जाकर वो बार-बार पूछता - गुरुदेव मुझे भगवान की प्राप्ति कैसे होगी? मुझे ईश्वर के दर्शन कब होंगे? गुरु उसे बार-बार समझा…
पत्थर में भगवान - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ये महज़ विश्वास है कि पत्थर में भगवान है, परंतु यही विश्वास हमें बताता भी है भगवान कहाँ है? तभी तो हम मंदिर, मस्जिद गिरिजा, गुरुद्वारों…
तब भगवान याद आते - कविता - रमाकांत सोनी
सारे रास्ते बंद हो जाए, कोई राह नजर ना आए, अपने सब बेगाने लगते, जीवन अंधकारय हो जाए। कुछ भी अच्छा लगे ना जब, मन के सुख चैन खो जाते,…
मुझे मत कहना - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
मेरा बालक मुझसे कहने लगा पापा मुझे राम मत कहना क्योंकि मैं किसी धोबी के कहने से अपनी पत्नी को नही त्यागूँगा। पापा मुझे शिवशंकर भी मत …
भगवान - लघुकथा - दिलशेर "दिल"
"भैया, कछु नईंऐं कोरोना-वोरोना! सब कमाई को धंधों बना लओ डॉक्टरन ने। हल्को सो खाँसी ज़ुकाम भओ नईं कि ठूस दओ कोरनटाईन में।…
मैंने भी भगवान देखा है - कविता - मयंक कर्दम
तुम में एक सच्चा इंशान देखा हैl या यूं कहूं, मैंने भी भगवान देखा हैll तेरी हंसी मूक को भी प्रेरणा देती हैl ओर सूरत अंधे को चमक…
पिता आप भगवान - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आनंदित निज पूत पा , किया समर्पित जान। पिता त्याग सुख शान्ति को ,पूरण सुत अरमान।।१।। लौकिक झंझावात को , पिता सहे चुपचाप।…
अन्न दाता भगवान - लोकगीत - समुन्दर सिंह पंवार
दिन रात मेहनत करकै अन्न उगावे बेअनुमान बार बार प्रणाम तनै मेरा अन्नदाता भगवान गर्मी सर्दी सहता है तू सहता भूख और प्यास एक दिन क…
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