संदेश
भारत का प्राकृतिक सौंदर्य - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
भारत निराला देश, देश में हैं सभी वेश, वेश भूसा जैसे संग, रंग की तरंग है। देश है कृषि प्रधान, धान गेहूँ पहचान, तान सीना खलियान, दान की …
अपना हिंदोस्ताँ - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा 'सूर्या'
जिसकी माटी भी मलयज से कमतर नहीं, देश जिससे यहाँ कोई बेहतर नहीं। जिसके मस्तक पे हिमगिरि सुशोभित रहे, जिसके चरणों को छूकर के सागर बहे। ज…
भारत देश की महिमा - कविता - ओम प्रकाश श्रीवास्तव
भारत प्यारे देश के, अनुपम सारे साज। ज्ञान विश्व को बाँटता, यही पुरातन काज। यही पुरातन काज, खोज उत्तम हर करता। फिर सबको यह बाँट, हर्ष स…
नवभारत - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
युवक तुम्हें जागना होगा पंख शिथिल मत करो यहीं देश हित में भागना होगा युवक तुम्हें जागना होगा बैरी होने से क्या होगा धर्म, जाति से क्या…
जय जय हो भारत माता - गीत - सुशील कुमार
हिमगिरि से बहता पानी नदियों की कल कल ध्वनियाँ मन देख देख हर्षाता बागों की कुसमित कलियाँ आनन्द भाव भर मन में गाथा जिसकी जग गाता जय जय ह…
भारत है प्रेम का देश - कविता - विनय तिवारी
भारत है प्रेम का देश, यहाँ नफ़रत की आग न फैलाओ। बहती है यहाँ गंगा जमुना, नदियाँ न लहू की तुम लाओ॥ क्यों मज़हब धर्म को लेकर तुम, आपस में …
देश की माटी है चंदन - कविता - इन्द्र प्रसाद
देश की माटी है चंदन। करें हम बार बार वंदन॥ १ प्रकृति की अनुपम सुषमा यहाँ, और षड् ऋतुएँ मिलती कहाँ। यहीं हिमधारे पर्वतराज, तपस्वी …
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