संदेश
युद्ध का औचित्य - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब भ्रम ही सच्चा लगता हो, तब सत के पथ पर कौन चले। जब द्वार खड़े हों वायुयान, घोड़ों के रथ पर कौन चले॥ तिलमिला उठे जब बर्बरता, कुलबुला …
पार्थ - कविता - राकेश कुशवाहा राही
या तो युद्ध करो तुम या फिर हँसी सहो अपनो की, तज कर मोह संहार करो तुम अभी सभी अपनो की। जीकर तुम यथार्थ में मत बात करो मरे सपनो की, आने …
युद्ध और सफ़ेद फूल - कविता - मयंक मिश्र
सफ़ेद फूल! वही सफ़ेद फूल, जो शांति का प्रतीक है; सफ़ेद फूल तो आ गए! लेकिन, उससे पहले; दुनिया में होनी थी शांति! हुआ क्या? युद्ध! बुद्ध …
भीम दुर्योधन युद्ध - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
ललकारा जब भीम को दुर्योधन ने। साधा बाण फिर अर्जुन ने। पर, उसी क्षण रोक लिया, भीम ने, कहा, इसके लिए मैं ही काफ़ी हूँ। क्षमा करे भ्राता, …
लड़कर क्या मिलेगा? - कविता - चंदन कुमार 'अभी'
यह हमारा है वह तुम्हारा, कहकर क्या मिलेगा? एक दूसरे की ताक़त बनों, आपस में लड़कर क्या मिलेगा? समाधान नहीं है रण इसका, रणभूमि में उतड़कर क…
युद्ध रोमांच नहीं होता - कविता - अपराजितापरम
समाचारों की होड़ में, चल रहा है, अटकलों और सरगर्मियों का दौर युद्ध को ‘मेगा शो’ बना प्रसिद्धि की चाहत में सीमाएँ लाँघती शब्दावली उत…
युद्ध - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली'
हे भगवन, तुम दया करो लाचार, बेबस, बेगुनाहों पर जो बेघर हुए भटक रहें है अंजान परदेस की राहों पर। खुला आसमान हिम गिराए भूख कर रही ज़ुल्म…
युद्ध दस्यु बना देता हैं - कविता - विनय विश्वा
युद्ध दस्यु बना देता हैं खुले विचारों को ध्वस्त कर देता हैं अपनी ख़ामोशी की ऐंठन में महाभारत हो जाती हैं भीष्म छलनी होते हैं अर्जुन ख़ाम…
क्या मिलेगा युद्ध से संसार को - ग़ज़ल - प्रवेन्द्र पण्डित
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 क्या मिलेगा युद्ध से संसार को, रोक लो अब क्रोध के विस्तार को। चाहते हो शत्रु…
जीवन: एक युद्ध - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
था वो कहने की शबर में हार जाऊँगा मैं एक दिन हार जाऊँगा मैं एक दिन था वो कहने की फ़िक्र में, यूँ दब दबी आवाज़ में स्वर कहीं उदघोष का और…
हल्दीघाटी - आल्हा छंद - महेन्द्र सिंह राज
राणा कर में भाला सोहै, झाला कर सोहै तलवार। बैरी सेना टिक ना पाए, होने लगे वार पे वार।। राणा के भाला के आगे, जो आता गर्दन कट जाए। दूर…
युद्ध अभी शेष है (भाग २) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
कुछ दिन बाद....... किसी राज्य के सम्राट ने एक व्यापारी मेले का आयोजन करने की घोषना की सम्राट ने ये संदेश सभी देश-विदेश के राजाओं को दी…
युद्ध अभी शेष है (भाग १) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
युद्ध में विजय होकर लौटे सम्राट की जय-जय कार होने पर सम्राट ने प्रजा से कहा, जय-जय कार केवल मेरी नहीं इन सभी सैनिको की करो। इनकी बाहदु…
पुनः धर्मयुद्ध - कविता - मनोज यादव
बस काल-काल में अंतर है, और समय में थोड़ा परिवर्तन है। नही तो द्युत सभा तो आज भी जारी, और सत्ता का भरपूर समर्थन है। धृतराष्ट्र लाख मिलें…
हे पार्थ - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
हे पार्थ! उठो गांडीव गहो, अब कृष्ण न आने वाले हैं। यह युद्ध तुम्हारा अपना है, पांडव - उर में सौ छाले हैं।। जिस मोह जाल में हो निमग्न, …
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