संदेश
विधा/विषय "लम्हा"
गुज़रे हुए लम्हे - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
शुक्रवार, जून 04, 2021
मुस्कुराता हुआ चेहरा उसका जब क़रीब से देखा था, हुआ शादाब दिल जो खिल उठा था। गुज़रे हुए लम्हे फिर लौटकर तो नहीं आते, पर यादों का कारवाँ ह…
बीते पल नव चाह बनी है - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गुरुवार, मार्च 11, 2021
यायावर सत्पथ सेवक हम, बीते पल की ख़बर नहीं है। कुछ लम्हों का जीवन दुर्लभ, साथ छोड़ने वक़्त अड़ी है। ज़िंदगी पड़े कर्तव्य बहुत, बाधाएँ बहु आ…
फिर एक बार - कविता - डॉ. विजय पंडित
बुधवार, फ़रवरी 17, 2021
एक बार वहीं से फिर शुरुआत करना चाहता हूँ, फिर एक बार मैं वही पुराने दिन जीना चाहता हूँ। दोस्तों के साथ कभी शुरू किया था जो सफ़र, संघर्ष…
वे लम्हें कितने प्यारे थे - गीत - प्रवीन "पथिक"
बुधवार, सितंबर 09, 2020
वे लम्हें कितने प्यारे थे! मिलने की बस आँखो की ललक थी। हज़ारों मिलन की एक झलक थी। रहते जैसे स…
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