संदेश
एक लज्जा भरी सुनहरी साँझ - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शीतल सहज सुखद अस्ताचल रक्तिम, एक लज्जा भरी सुहानी शाम रे। श्रान्त क्लान्त दिनभर उद्यम अधिरथ, स्वागत प्राणी जग रत अविराम रे। अनुराग आश…
शाम उतर आई है दिल में - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शाम उतर आई है दिल में, यादों की सुंदर महफ़िल में। कभी सताती कभी हँसाती, बातें उनकी दिल ही दिल में। शाम उतर आई है दिल में। यादों की... 2…
शाम को छः बजे - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श'
अरकान: फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलातुन फ़अल फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलातुन फ़अल तक़ती: 212 22 2122 12 212 22 2122 12 अंततः अब मिलना है उनसे मुझे, आज तक़रीब…
सोचेंगे शाम को - ग़ज़ल - मनजीत भोला
अरकान : मफ़ऊलु फाइलुन मफ़ऊलु फाइलुन तक़ती : 221 212 221 212 दालान ही नहीं हम उनके बाम को। नज़रों के सामने रखते हैं जाम को।। ज़िक्रा न छेड़…
सुहानी ढलती शाम हो - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
दिल में यादें तमाम हो, सुहानी ढलती शाम हो। यादें याद आती रही, हँसाती, रुलाती रही, बुलबुल चहचहाती रही, बारिश में ये नहाती रही। ज़ुबान पर…
शाम ढले घर का रस्ता देख रहे थे - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा तक़ती : 22 22 22 22 22 2 शाम ढले घर का रस्ता देख रहे थे। कुछ क़ैद परिन्दे पिंजरा देख रहे थे। सब…
सांध्य-तारा - कविता - सुरेंद्र प्रजापति
सांध्य-तारा, वृन्द-उचारा, नील व्योम का अगणित सितारा, कोलाहल जग का एक सहारा, दिवस निज घर जाइए। आ रहा है, छा रहा है, कठिन श्रम को सुला र…
शाम उतर आयी है दिल में - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शाम उतर आई है दिल में, यादों की सुंदर महफ़िल में। कभी सताती कभी हँसाती, बातें उनकी दिल ही दिल में। सजधज साथ घूमती उनके, यादों की ब्यूटी…
एक शाम - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
शाम-ए-अवध तेरा दीदार हो गया, सजी एक महफिल में तेरा नाम हो गया। फिर इतिहास के पन्नों को पलट, फलक पे तेरा नाम आफताब हो गया। गुजरे जम…
कब ढले शाम अनज़ान समझ - गीत (मुक्तक) - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जीवन की ढलती शाम समझ, पल पल अनुपम अलबेला है। सौगात तुम्हें दी है कुदरत, गाथा नव सत्पथ लिखना है। सोपान नया उत्थान समझ, न…
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