संदेश
विधा/विषय "श्राद्ध"
श्राद्ध व तर्पण - कविता - सीमा वर्णिका
शुक्रवार, अक्टूबर 01, 2021
माह भादप्रद पितृपक्ष काल, श्राद्ध तर्पण करते हर साल। स्वपूर्वजों का ऋण चुकाते, सद्कर्मों से काटे पाप जाल।। श्रद्धा भाव से जन करते तर्…
बाबा - कविता - रत्नप्रिया
सोमवार, जून 28, 2021
नानी मेरी... लाती थी बाज़ार से साड़ियाँ, चूड़ियाँ और लठवा सिंदूर। अपनी बेटी के लिए। आज वही बेटी! जा रही है बाज़ार, बे-रंग साड़ियाँ और चाँद…
सच्ची श्राद्ध - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बुधवार, सितंबर 16, 2020
जीते जी सेवा किया नहीं, बस मरने पर श्राद्ध मनाते हैं। ऐसी संताने हैं कुल कलंक, मृत पुरखों को बहलाते हैं। यदि देनी सच्ची श्रद्…
ये कैसा श्रद्धा भाव - संस्मरण - सुधीर श्रीवास्तव
मंगलवार, सितंबर 15, 2020
इस समय पितृ पक्ष चल रहा है। हर ओर तर्पण श्राद्ध की गूँज है। अचानक मेरे मन में एक सत्य घटना घूम गई। रमन (काल्पनिक नाम) ने कुछ समय …
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर