संदेश
वक़्त यूँ ज़ाया न कर - नज़्म - सुनील खेड़ीवाल
मसर्रतों की तलाश में अपनों से ख़ुद को यूँ पराया न कर, बेशक़ गर्दिश भरा है सफ़र, तू चल वक़्त यूँ ज़ाया न कर। हाँ, मिल ही जाएगी मंज़िल, ज़रा ख़ु…
बुरा वक़्त - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
दुखों की थी जो काली रात, हँसी के जो सूखे थे हर इक पात, मुसीबत थे घने बादल, जो कोहरा ग़म का था छाया, फिर सुबह हुई सबकी उम्मीदें हुईं पैक…
वक़्त का खेल - कविता - संजय राजभर 'समित'
जर्जर खण्डहरें यश गाथा को अपनी प्राचीर में समेटे निःशब्द खड़े हैं, परिवर्तन संसार का नियम है राजा से रंक रंक से राजा सब परिस्थितियो…
वक़्त का परिंदा - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
वक़्त का परिंदा आया, ना जाने किस देश से हो, यह सिखलाए सत्य ईमानदारी प्रेम का वेश हो। एक ही देश है, एक ही राग, एक ही गान हमारा, एक ही लह…
सिर चढ़ बोलेगा - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
जटिल प्रश्न है, कठिन घड़ी है इस मिथ्या को जब तोड़ेगा वक्त तेरे संग ज़ुबाँ मिलाकर सबके सिर चढ़ बोलेगा। क्या कोई प्रश्न हुआ है जग में? जिसका…
समय धारा प्रवाह बहती नदी है - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
समय धारा प्रवाह बहती हुई अविरल नदी है जिसकी नियति बहना है जो किसी के लिए नहीं ठहरती है। हाँ! विभिन्न कालखंडों में विभाजित, विविध घाटों…
वक़्त को यूँ न ठुकराइए - ग़ज़ल - दीपा पाण्डेय
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 वक़्त को यूँ न ठुकराइए, वक़्त है क़ीमती जानिए। ख़्वाबों में मंज़िलें ही सही, ख़ुद को श्रम …
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