संदेश
कर्कश मत बोलो - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
भले कहीं कोई पथ भूला पर कर्कश मत बोलो, राम लखन सीता माता के जीवन से निज को तोलो। मृदु भाषा के वचनामृत से तुम जीतो दिल पर का– हरो '…
ख़ुशियाँ बाँटते चलो - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
ग़म तो सभी देते हैं, तुम ख़ुशियाँ बाँटते चलो। जिन्हें सबने दुत्कारा हो, तुम उन्हें पुचकारते चलो। जो बंचित हैं जो शोषित हैं, तुम उन्हें अ…
युद्ध का औचित्य - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब भ्रम ही सच्चा लगता हो, तब सत के पथ पर कौन चले। जब द्वार खड़े हों वायुयान, घोड़ों के रथ पर कौन चले॥ तिलमिला उठे जब बर्बरता, कुलबुला …
वज़नी बात - कविता - संजय राजभर 'समित'
जोर-जोर से चिल्ला कर अपनी बात मत कहो! क्योंकि छिछले लोग ध्यान देगें गहरे विचारक नहीं, गहन विचार केवल चिंतन-मनन से आती है गहरे विचारक …
शिक्षा, ज्ञान और विद्यार्थी - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
लगता है हार रहा हूँ मैं, ख़ुद से, या ख़ुद को, जो सपने सँजोए वो शायद मेरे थे ही नहीं, जो हैं तो, लगता है थोपे गए है, बचपन से तुलना मेरी ह…
संतोष से बड़ा सुख नहीं - कविता - गणेश भारद्वाज
संतोषी जन बहुत सुखी हैं, स्वार्थ की दुनियादारी में। झूम उठा जो एक ही गुल पर, क्या करना उसको क्यारी में? सीख लिया थोड़े में जिसने, …
पदचिह्न - कविता - संजय राजभर 'समित'
आया था चला जाऊँगा खाली हाथ आया था पर कोशिश है खाली हाथ न जाऊँ कुछ पद चिन्हों को छोड़ जाऊँ और वही पद चिन्ह छोड़ पाते हैं जो मानव सभ्यता…
बदलो जीवन चरित को - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
बदलो जीवन चरित को, भर पौरुष सतरंग। रखो भाव पावन हृदय, भारत भक्ति उमंग॥ बढ़ो अटल संकल्प पथ, बनो राष्ट्र पहचान। परमारथ पौरुष सफल, परह…
तकरार - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
ध्यान से सुनो एक बात बताता हूँ, नई नहीं है फिर भी दोहराता हूँ। दुनिया की यही रीति यही क़ायदा है, दो की लड़ाई में तीसरे का फ़ायदा है। तीस…
शख़्स वही गुलाब है - गीत - संजय राजभर 'समित'
काँटों के साथ रहे, फिर भी ख़ुशहाल रहे। चुभ जाए, दर्द सहे, शिकवा तक भी न कहे। सहनशील रुआब है, शख़्स वही गुलाब है। क़दम-क़दम जो चँहके,…
हिंसा - कविता - रौनक द्विवेदी
हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा, वर्ना बिखर जाओगे जैसे टूट कर शीशा। हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा। आग में उसकी डाल के पा…
संबल - गीत - सुशील कुमार
नव ज्ञान रश्मि बिखराऊँ, निर्बल को सबल बनाऊँ। जो हार चुके हैं जग में, पथ भूल चुके हैं मग में। उत्साह जगा चिंगारी, अंतस की हर ॲंधियारी। …
कर्मों का फल - कविता - डॉ॰ कंचन जैन 'स्वर्णा'
समंदर सी गहराई लेकर, चल मन में। मगर समंदर सा खारापन नहीं। चला क़लम बेशक रफ़्तार से, मगर ठहर, हर शब्द को पढ़। बड़ा क़दम तेज़ी से हरेक,…
ऊर्जा - कविता - अजय गुप्ता 'अजेय'
जीवन में इच्छा-संकल्प, हैं सर्वोत्तम सह-प्रकल्प। स्वतंत्र विचार मानव के पास, किंतु वह अपने मन का दास। सही निर्णय नहीं ले पाता है, नहीं…
कुछ और नहीं बनना मुझको - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
बेदर्दों का सिरमौर नहीं बनना मुझको, गुमनामी का दौर नहीं बनना मुझको। नेकदिली और नेकपरस्ती बनी रहे, इन्सान रहूँ कुछ और नहीं बनना मुझको। …
मिहनत की किलकारियाॅं - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
उषाकाल खिलती किरण, ख़ुशियाँ ले भू धाम। मिहनत की किलकारियाॅं, प्रकृति हॅंसी अभिराम॥ फैली चहुँ दिस लालिमा, नव प्रभात अरुणाभ। उद्योगी म…
वक़्त का परिंदा - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
वक़्त का परिंदा आया, ना जाने किस देश से हो, यह सिखलाए सत्य ईमानदारी प्रेम का वेश हो। एक ही देश है, एक ही राग, एक ही गान हमारा, एक ही लह…
जीवन पल दो पल - कविता - विजय कुमार सिन्हा
ज़िंदगी में हर पल लिखा जाता है एक नया तराना, कभी सूरज की तपती धूप कभी चाँदनी की शीतलता। बीत रहा ज़िंदगी का हर पल आश में, विश्वास में,…
ईर्ष्या-निन्दा त्याग दो - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
ईर्ष्या-निन्दा त्याग दो, कबहुं न राखो पास। निन्दा से प्रभुता घटै, ईष्या उपजै रास॥ ईर्ष्या उपजै रास, अरे! निन्दा से दूरी। दोनों मन के द…
देना है इनकम टैक्स - कविता - गणपत लाल उदय
रह जाएगा सब कुछ एक दिन यही पर मेरे यारों, इस धन और दौलत को कोई इतना नहीं सवारों। देना है इनकम टैक्स प्रत्येक साल नियम बनालों, न करो च…
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