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विधा/विषय "हँसी"
चल हँसते है किसी बात पर - कविता - अनिल कुमार
शुक्रवार, मार्च 11, 2022
चल हँसते है किसी बात पर बेबात पर ख़ुशी मनाते है, मंज़िल को छोड़-छाड़कर रस्तों में ही कहीं खो जाते है। चल हँसते है किसी बात पर बेबात की ब…
हँसी के पीछे का शोर - कविता - मोहित कुमार पांडे
शुक्रवार, फ़रवरी 18, 2022
उसने कहा चलो तुम कहते हो तो हँस देती हूँ। गौर से देखोगे तो पाओगे की हँसी के पीछे का शोर कचोटता बहुत है। ओह! हँसी के पीछे का शोर तू सच…
हँस लेते हैं - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
मंगलवार, मई 25, 2021
अरकान : फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा तक़ती : 21 122 22 22 22 2 चाहे जितने भी हों ग़म हम हँस लेते हैं। पलक भले रहती हों नम हम हँस लेत…
खोती हँसी - लेख - सुधीर श्रीवास्तव
शनिवार, मार्च 20, 2021
सामान्य सी बात और शब्द हँसी हमारी ज़िन्दगी और खुशहाली कि हिस्सा है, जो समय और आधुनिकता की चाशनी में लिपटी भागमभाग भरी ज़िन्दगी में खोता …
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