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बात मन की कभी तो बताया करो - ग़ज़ल - डॉ॰ आदेश कुमार पंकज
बात मन की कभी तो बताया करो दर्द दिल में छिपा मत सताया करो हो अकेले कभी मम ज़रूरत पड़े पास अपने हमें तुम बुलाया करो बाग़-बगिया दिशाएँ मनोर…
कहीं पे चंदर उदास बैठा - ग़ज़ल - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव 'जानिब'
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन तक़ती: 1222 1222 1222 1222 कहीं पे चंदर उदास बैठा, कहीं सुधा भी बुझी पड़ी है मगर ये क़…
नसीब अपना जला चुके हैं - ग़ज़ल - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
नसीब अपना जला चुके हैं, चराग़ कोई बुझा न पाए ग़मों का साया जो पड़ चुका है, वो अब कभी भी हटा न पाए उदास आँखों में रौशनी थी, मगर वो कब स…
जो जगमग मेरी दुनिया दिख रही है - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त
जो जगमग मेरी दुनिया दिख रही है तुम्हारे नूर की ही रौशनी है भला दिखने की ये जद्दोजहद क्यों भलाई या बुराई कब छिपी है जो बदले पैंतरा हर इ…
हमने फहराकर तिरंगा कर दिया ऐलान है - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी 'नितान्त'
हमने फहराकर तिरंगा कर दिया ऐलान है देख लो दुनिया ये ताक़त है हमारी शान है है हमें इश्क़-ए-वतन इस पर ये जाँ क़ुर्बान है हिन्द ही तो शान है…
आओ कुल्हड़ में चाय पीते हैं - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त
आओ कुल्हड़ में चाय पीते हैं चन्द लम्हें सुकूँ के जीते हैं क्या बताएँ ए दोस्त तेरे बिन सारे लम्हात रीते-रीते हैं रम औ' व्हिस्की तुम…
इस ज़िंदगानी में कहूँ इतना कमाया आज तक - ग़ज़ल - हरीश पटेल 'हर'
अरकानः मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन तक़ती: 2212 2212 2212 2212 इस ज़िंदगानी में कहूँ इतना कमाया आज तक जो भी लिख…
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