संदेश
विधा/विषय "जनता"
जनता का तंत्र गणतंत्र - कविता - कवि दीपक झा 'राज'
बुधवार, जनवरी 26, 2022
जनता का जो तंत्र है, वही गणतंत्र है। भेदभाव की जगह नहीं अब, वंशवाद की लहर नहीं अब, जनता ही अब मालिक है, जनता ही सरकार है। जनता का जो त…
अंतःकरण का संवाद - लेख - रामासुंदरम
शुक्रवार, अगस्त 06, 2021
लोक सभा का मानसून सत्र चल रहा था। आरोपों एवं प्रत्यारोपों की झड़ी लगी थी। जिस भी मान्यवर को देखो वह हाव भाव दिखता, बोलता या फिर बुदबुदा…
बेबस जनता - कविता - श्रवण निर्वाण
सोमवार, दिसंबर 14, 2020
सिहांसन की लड़ाई यूँ ही सदियों से चलती रही जनता सदा पिसती गई, ऐसे ही "नारे" रटती रही। कुनबे बंटे, कुछ के गात कटे फिर भी रुके …
चक्कर में - कविता - विनय विश्वा
सोमवार, अक्टूबर 19, 2020
क्यों पड़े हो चक्कर में सब अपने है चक्कर में कोई नहीं है टक्कर में सब बदते है खद्दर में। कोई कहता इसको डालो कोई कहता उसको सब सत्ता का …
ये दौर कब जाएगा - कविता - अरविन्द कालमा
गुरुवार, अक्टूबर 15, 2020
कब यहाँ जातिवाद खत्म हो पाएगा कब मानव सुखी जीवन जी पाएगा। इस दौर में मानवता शर्मसार हो रही पता नहीं ये दौर कब जाएगा।। इस दौर ने झेली ब…
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