संदेश
दीप - कविता - इन्द्र प्रसाद
दीप से दीप तुम भी जलाते रहो, दीप से दीप हम भी जलाते रहें। मन में अँधेरे जो ढेर सारा भरा, तुम भगाते रहो हम भगाते रहें॥ है तमस का असर, छ…
दीप जलें - गीत - सुशील शर्मा
दीप जलें उनके मन में, जो व्यथित व्यतीत बेचारे हैं। दीप जलें उनके मन में, जहाँ लाचारी में जीते हैं। दीप जलें उनके मन में, जहाँ होंठों क…
ख़ुशियों के दीपक जले - दोहा - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | दीवाली पर दोहे
ख़ुशियों के दीपक जले, जग मग जगमग लोक। मिटे तिमिर अज्ञान का, रोग मोह मद शोक॥ ख़ुशियों के दीपक जले, बाल अधर मुस्कान। घर आँगन सब स्वच्छ …
मिट्टी के दीप जलाना - गीत - अंशू छौंकर 'अवनि'
क़सम तुम्हे इस मिट्टी की, मिट्टी के दीप जलाना। तिमिर मिटेगा जब दीवाली, में मिट्टी के दीप जलेंगे। और तभी चहुँओर चमन में, मुस्कुराहट के …
मिट्टी के दीए - कविता - अनूप अंबर
मिट्टी के दीए जलाना तुम, ख़ुशियों का संसार सजाना तुम। पर इतना तुमको सदा याद रहे, किसी के आँसू मत बन जाना तुम। उम्मीद सजा कर अपने मन में…
आओ फिर से दिया जलाएँ - कविता - संजीव चंदेल
अंधकार का सीना चिरकर, तिमिर की छाती पर चढ़कर, झूम-झूम कर नाचे गाएँ, आओ फिर से दिया जलाएँ। ग़म की काली घटा छट जाए, ख़ुशीयों का सुरज उग आए…
चलो प्रेम का दिया जलाएँ - कविता - रमाकान्त चौधरी
नफ़रत का अँधियार मिटाएँ, चलो प्रेम का दिया जलाएँ। आग स्वार्थ की लगी हुई है, संवेदना मरी हुई है। कोई किसी का हाल न पूछे, बेगैरत क…
आशादीप - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
आओ आशा दीप जलाएँ अंधकार का नाम मिटाएँ। 2 रूह जलाकर ज़िंदा रहना, जीवन की तो रीत नहीं। अंतिम हद तक आस न खोना, मानव मन की जीत यहीं। फूलों …
दीया और दीपावली - कविता - रतन कुमार अगरवाला
आओ मिलकर दिवाली मनाएँ, हर कोने में दिए जलाएँ, धरती का अंधकार मिटाएँ, दीया जलाएँ, क़ंदील जलाएँ। आशाओं के दीप जलाएँ, निराशा को दूर भगाएँ,…
दिए जलाएँ - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'
आओ फिर से दिए जलाएँ। मिलकर तम को दूर भगाएँ। आडम्बर, प्रपंच, पाखण्ड से हरदम दूर रहें हम। ईर्ष्या, द्वेष कहीं न हो, न हो कोई ग़म।। छल क…
मोहब्बत के दीप - कविता - विजय गोदारा गांधी
सबकी चाह झूठ के पकवान सच की रोटी खाता कौन है... लाख दुआएँ बेअसर रह जाती है किसी के बुलाएँ आता कौन है... रस्तों पर पड़े रहते हैं टुकड़े द…
जलाओ दिये - कविता - राम प्रसाद आर्य
जलाओ दिये, पर रहे ध्यान इतना, रह गया है दिये में कि अब तेल कितना। कि बाती बुझी है या जली है तो कितना, बदलनी है बाती, डालना तेल कित…
दीपोत्सव - कविता - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
किसी जगह पर दीप जले अरु कहीं अँधेरी रातें हों । नहीं दिवाली पूर्ण बनेगी, अगर भेद की बातें हों ।। ऐसे व्यंजन नहीं चाहिए, हक ह…
दीप जलेंगे - बाल कविता - मोहम्मद मुमताज़ हसन
आया दीवाली का त्यौहार, दीप जलेंगे मिट्टी के! नहीं चाहिए चीजें विदेशी, अपनाएंगे अब हम स्वदेशी! चाईनीज लाइटों को हटाकर दीप जलेंगे म…
दीप तले अंधेरा ना रहें - कविता - विकाश बैनीवाल
दीप तले अंधेरा ना रहे, सामूहिक सकल दीप जलाओ, यति हररुह त्याग, स्तुति संग माँ लक्ष्मी को नैवेद्य चढ़ाओ। तामसिक प्रवृति ना रहे, प्रत्येक…
दीप मालिका अभिनंदन है - कविता - शिवचरण चौहान
दीप मालिके अभिनंदन है। अभिनंदन, शत शत वंदन है।। ज्योति सदा मंगलकारी हो। तन निरोग हो, बलकारी हो।। जीवन मधुमय सुखकारी हो। धन वैभव पर हित…
जगमग दीप जले - कविता - रमाकांत सोनी
दीपों की सजी है कतार जगमग दीप जले। लक्ष्मी जी आई घर द्वार जन जन फुले फुले धन-धान्य सुख देने वाली दुख दारिद्र को हारने वाली दे वैभव भ…
जलता जाए दीप हमारा - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
मिट्टी के दीपों में भरकर तेल - तरल और बाती, तिमिर-तोम को दूर भगाने को लौ हो लहराती। मिट जाए भू का अँधियारा ज…
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