संदेश
कमल का फूल - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
फूलों का सरताज कमल यह, सरसिज सुन्दर चंद्रहार है। पंकिल पंकज मुख सरोज सम, पद्मासन राजीव नयन हैं। पुण्डरीकाक्ष पुण्डरीक सरसि, प्रजापति ज…
अमलतास के फूल - कविता - इमरान खान
अमलतास के फूलों पर खिल उठे है इंद्रधनुष! बादल घिर आए है, समुंद्र की सुनहरी धूप में! और दूर तक फैली दिखाई देती है, कोहरे की सपाट सड़क! …
फूल और हम - कविता - वंदना यादव
हम - पूछ रहे है कलियों से कब ये तुमको खिलना है, बस कुछ पल की देरी है, अब किसी से हमको मिलना है। जल्दी उठो पंखुड़ियाँ खोलो, अब कुछ न त…
मदमस्त पुष्प - कविता - गणेश भारद्वाज
आई थी मनभावन आँधी, मेरे भी नीरस जीवन में। जी भर उसने कोशिश की थी, पर चमक नहीं थी सीवन में। शंकाओं में पल बीत गए, वो हार गए हम जीत गए। …
हरसिंगार - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सायंकाल जब मैं पहुँचा फूलते हरसिंगार के पास वह रोनें लगा, तुम्हारे न रहने के बाद कौन बुझाएगा मेरी प्यास? तुम्हारे अन्तिम प्रयाण पर तुम…
युद्ध और सफ़ेद फूल - कविता - मयंक मिश्र
सफ़ेद फूल! वही सफ़ेद फूल, जो शांति का प्रतीक है; सफ़ेद फूल तो आ गए! लेकिन, उससे पहले; दुनिया में होनी थी शांति! हुआ क्या? युद्ध! बुद्ध …
पुष्प की पीड़ा - कविता - रमाकान्त चौधरी
संवेदनहीन हुआ मानव तो ख़त्म हुईं सब आशाएँ, समझ नहीं पाया यह मानव मेरे मन की अभिलाषाएँ। अभिलाषा थी वीरों के पाँव तले बिछ जाने की, देश…
हरसिंगार झर रहा है - कविता - राकेश कुशवाहा राही
वर्षों बाद मैं अपनी माटी से मिला तो ख़ुशबुओं से लगा कोई इंतज़ार कर रहा है। सुबह-सुबह हरसिंगार झर रहा है उसकी ख़ुशबू से घर आँगन महक रहा …
चंचल कलियाँ - कविता - संगीता राजपूत 'श्यामा'
ऋतु सावन की झोंके खाए कजरी मल्हार मे ठनी झूले झूल उठे डाली पे कली मकरंद संग सनी। नाच रहे हैं पत्ते देखो मेघ द्वार बरसे बूँदे घटा म…
ये फूल - कविता - मनोरंजन भारती
चाँद की चाँदनी को तुम, अपने आग़ोश में रखती हो, सुरज की पहली किरण संग, समेटे पंखुड़ियाँ खोलती हो। लेकीन एक कसक हमेशा रहेगा, जी भर बातें क…
फूल मुस्कुराते हैं - कविता - डॉ॰ कुमार विनोद
मुस्कुराने के लिए ज़रूरी नहीं पूरी तरह विज्ञापन में उतर जाना इन्सान के लिए तनाव रहित मस्तिष्क और पेट में अनाज का तिनका होठों की परिधि म…
रह जाती है सूनी डाली - कविता - राघवेंद्र सिंह
जिस दिन एक फूल जुदा होगा, उस डाली का फिर क्या होगा। था सींचा जिसने दिन रात उसे, उस माली का फिर क्या होगा। जिस दिन आई होगी आंँधी, वह डा…
फूलों सा तुम खिलते रहना - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार
नेकी के रास्ते पर चलते रहना, प्यार से आगे बढ़ते रहना। सफलता रुक नहीं सकती, मेहनत तुम करते रहना। राहों में हैं काँटे बहुत सारे, फूलों स…
गुलाब - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
सुरूप, सुभाग है सौंदर्य उसका, उस पर मनोरम उसका रंग, खिल जाए वह, मुस्काए वह, छाए उस पर जब पीला रंग। नृत्य करे और इठलाए, जो मौसम करवट ले…
फूल मुरझाए हैं - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
फूल मुरझाए हैं, काँटों पे बहार आई है, क्या पता, कैसा ये बसन्त फ़िज़ा लाई है। क्या पता, काँटों की फूलों से क्या अररियाई है, फूल मुरझाए …
जीवन-राग - कविता - विनय विश्वा
जीवन के कुछ सच जो ना अपना है सब एक सपना है। आना और जाना जीवन के सुख-दुःख खेल-खिलौना सब फूल यहाँ खिले मुरझाए और धम से आकर धरती को चूमें…
सार्थक पुष्प - कविता - विनय "विनम्र"
तन की भूख प्रबल होती है, फूल की कोमल कलियों से, रास राग के घृणित कुकृत्य और अँधेरी गलियों से। बचपन सड़कों पे सबल समाज का कफ़न ओढकर चलता …
सूरजमुखी - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
सूरज की ओर मुँह किए खिल रहे, पीले-पीले सुंदर सूरजमुखी के फूल। भोर की पहली किरण निकलते ही, खिलखिला उठते सूरजमुखी के फूल। शरद रातों में …
मधुबन जैसी उदारता - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बन प्रसून खुशबू बिखरा दो, पुष्प हृदय सी विशालता। तालमेल काटो संग सीखो, मधुबन जैसी उदारता। पुष्प सिखाता परिवर्तन को, यही पुष्प की महा…
फूल-सी कलियों को खिलने दो - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
अभी-अभी तो यह खिली है, बहुत ही कच्ची कली है, ना छेड़ो तुम, इन्हेंं निकलने दो, फूल-सी कलियों को खिलने दो। यह सुंदर रूप में खिलेगी, र…
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