संदेश
कई रास्ते - कविता - प्रवीन 'पथिक'
कई रास्ते फूटते हैं; जीवन के उत्स से। कहीं कोयल मधुर राग छेड़ती है, तो कहीं घुप्प अंधेरा। कहीं झरनों का सुंदर संगीत है; तो कहीं झिंगुर…
डगर - कविता - डॉ॰ सरला सिंह 'स्निग्धा'
जीवन की डगर पर कितने ही पतझड़ औ बसन्त देखे हमने। जीवन की डगर काँटों से भरी, कुछ फूलों सी सुरभित पाई। पत्थर ही मिले राहों में अधिक, ठोक…
राह नहीं मंज़िल - कविता - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
बात पुरानी कुछ नई नहीं है, खरी-खरी, छुई-मुई नहीं है। राह मिली पथरीली हरदम, फिर भी घटा नहीं है दमख़म। कतई कभी न छोड़ी ज़मीन, बनी ज़िंदगी…
राह संघर्ष की - कविता - शिवचरण सदाबहार
राह संघर्ष की तुझे, अकेला ही चलना होगा। कर्म की शाख पर तब ही खिल सकेंगे फूल, मेहनत के पानी से उसे सींचना होगा। निराशा में हाथों की लकी…
ज़िंदगी की राह - कविता - रविन्द्र कुमार वर्मा
ज़िंदगी की राह में, गुलशन भी है सहरा भी है। मदमस्त सा जीवन भी है, जीवन पे फिर पहरा भी है।। राह सूनी सी भी है और क़ाफ़िलों का दौर भी, बिखर…
उमंगों की राह - कविता - सुनील माहेश्वरी
भोर हुई शुरुआत नयी कर, तिमिर का हुआ अब अंत, जीवन गर जीना है तो, ख़्वाहिशों को अनंत कर। बीते दिन को विस्मृत कर दे, स्वछंद सोच से विहार क…
वफ़ा की राह में - ग़ज़ल - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बुझ गया दीप उल्फ़त का जो जलाने से रहा, सनम की याद का आलम तो मिटाने से रहा। इस कदर घायल रही उल्फ़त वफ़ा की राह में, छुप गया यार मेरे पास व…
जाने क्यों लोग - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
जाने क्यों लोग राह से यों, भटक जाते हैं। जाने क्यों लोग......।। दर्द सह लेते हैं, दवा नहीं लेते हैं। दर्द सस्ता, दवा को महँगी, कह देते…
काँटों भरी राह - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
काँटों भरी राह मुझे चलने दो। सदियों से बंधी पाँव बेड़ियाँ। तोड़ बेड़ी मशाल प्रव्जलित करने दो।। मुझे काँटों भरी राह चलने दो। हवा रुख बदलत…
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