संदेश
अधरंगी बूँद - रेखाचित्र - विशाल कपूर 'पोपाई'
नमस्ते जी! वैसे तो मैं यहाँ पर नमस्ते की जगह वाहेगुरु जी, अस्सलामु अलैकुम, या गुड इवनिंग भी बोल सकती थी। पर आज अगर मैं बोल पा रही हूँ …
चंट लेखिका - रिपोर्ताज - ईशांत त्रिपाठी
क्या लिखते हो रंजन भाई!! सच कहूँ तो जो कोई भी आपके लेखन को पढ़ेगा तो इन शब्द-अर्थ और विषय के सौन्दर्य में उसकी तादात्म्यता हो ही जाएँग…
मैं क्यों लिखता हूँ? - कविता - गोकुल कोठारी
या छंद हैं? या द्वन्द्व हैं? या भीतर का दावानल? या मिटाने तीव्र तपन को शब्द बने हैं गंगाजल? या साकार हूँ? या निर्विकार हूँ? या लीक से …
कलम का पुजारी - कविता - रमाकांत सोनी
नज़र उठाकर देखो ज़रा, पहचान लीजिए। कलम का पुजारी हूँ, ज़रा ध्यान दीजिए। शब्दों की माला लेकर, भाव मोती पिरोता हूँ। काग़ज़ कलम लेकर, मैं सप…
हम लेखक हैं जनाब - कविता - दीक्षा
काश! लोग समझ पाते काश! एक लेखक की ज़िंदगी से रू-ब-रू हो पाते, वो कैसे लिखता है वो ही जानता है घंटो बैठकर लिखने के लिए बस चाँद को निहारत…
क़लमकार - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
कविता में क्या लिखोगे कवि? शृंगार, सौंदर्य के गीत कामिनी कंचन के आर्वत– नहीं नहीं लिखो– शहीदों का बलिदान भ्रष्टाचार का उन्मूलन दहेज कन…
आख़िर क्या करता? - लघुकथा - प्रवेन्द्र पण्डित
पूरी ऊर्जा युवावस्था का अंतिम चरण काम और नाम की प्रबल चाह लिए साहित्यिक विचारों का सैलाब हृदय में हिलोरें मारता हुआ, वहीं युवा संतान ब…
कविताएँ सब कुछ कहती हैं - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
अनुराग बिखेरे फिरती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। निर्झर बन करके बहती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। प्रिय ग्रन्थों के अध्यायों में, बन…
आज मैं कुछ लिखना चाहता हूँ - कविता - शेख रहमत अली 'बस्तवी'
लिखते हैं सब, आज मैं भी कुछ लिखना चाहता हूँ। गूगल हो या अमेज़ॉन हर जगह बिकना चाहता हूँ। अदाकारी भी हो मुझमें व जुनूँन इस तरह का हो,…
कुमार विश्वास - कविता - राघवेंद्र सिंह
हिन्दी साहित्य पुरोधा, सरस्वती पुत्र, जीवन को काव्य साधना में समर्पित करने वाले कविराज डॉ॰ कुमार विश्वास जी के जन्मदिवस पर उन्हें समर्…
क्या तुमने कवि को देखा है? - कविता - राघवेंद्र सिंह
पूछ रहा है एक कवि, क्या तुमने कवि को देखा है? ऊपर से नीचे तक कैसा, क्या रवि के जैसी रेखा है? क्या है उसके हाथों में, क्या दुबला पतला द…
उठे जब भी कलम - कविता - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
उठे जब भी कलम कुछ ऐसा लिखे, प्रभाव जिसका इस समाज में दिखे। कलम वह हथियार है जो वार तेज़ करती है, किसी गोले किसी बारूद से नहीं डरती है, …
प्रेमचंद - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
लमही बनारस में 31 जुलाई 1880 को जन्में अजायबराय आनंदी देवी सुत प्रेमचंद। धनपतराय नाम था उनका लेखन का नाम नवाबराय। हिंदी, उर्दू, फ़ारसी …
मैं लेखिका हूँ - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जब एहसासों का समंदर उमड़ा हो, जब जज़्बात करवट लेने लगते हैं। जब भावनाओं का सामंजस्य बढ़-चढ़कर, अपना आकार लेने लगते हैं।। जब कोई अपनी स…
लेखनी - कविता - रतन कुमार अगरवाला
उम्र के इस गुज़रते पड़ाव में, लिखना जब शुरू किया मैने। लेखनी से हुई दोस्ती मेरी, ज़िंदगी का नया रूप जिया मैने। भावों को शब्दों में पिरोय…
साहित्यकार श्री सुधीर श्रीवास्तव - कविता - महेन्द्र सिंह राज
गोंडा जिले के बरसैनिया गाँव में स्व. श्री ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव और स्व. विमला देवी के पुत्र के रूप में सन 1969 में अवतरित मूर्धन्य स…
सुनो ना - लघुकथा - ज्योति सिन्हा
"सुनो ना... कुछ कहना है तुमसे" बोल कर, स्वाति अजय के पीछे चल पड़ी। अजय ने कहा - क्या है, ऐसे कैसे चलेगा हर वक़्त तुम्हारे दिम…
मैं कहीं भी होता हूँ - कविता - सुरेंद्र प्रजापति
मैं कभी भी, कहीं भी होता हूँ, ज़िम्मेवारियों के साथ होता हूँ। बच्चों की ज़रूरतें, गृहस्थी का बोझ, चाहे जहाँ भी होता हूँ, उत्तरदायित्वों …
शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - आलेख - विमल कुमार "प्रभाकर"
हिन्दी साहित्य के सुविख्यात वरिष्ठ कवि, लेखक, आलोचक, सुधी सम्पादक शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' समकालीन साहित्य में लोकप्रिय रच…
अश्रु शब्द - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मैं कवि या कलमकार नहीं हूँ, आम इंसान हूँ। सुरों, विधाओं से न वास्ता है मेरा, मन की उद्दिग्नता को बस शब्द देता हूँ। गीत, ग़ज़ल, छंद, कवि…
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