संदेश
लाॅकडाउन - संस्मरण - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
लॉकडाउन अर्थात तालाबंदी। पिछले लॉकडाउन में मेरी छोटी बहन गर्भवती थीं उसका इलाज जिस डॉक्टर से चल रहा था वह दूसरे शहर की थीं। लॉकडाउन के…
कोरोना की हवाबाजी - आलेख - परमजीत कुमार चौधरी
देश और दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर फिर से परवान पर चढ़ी है। पता नहीं यह और कितने दिन रहेगी हालांकि पिछले बार की तुलना में इस बार डर…
लॉकडाउन 3 और मधुशाला - गीत - अजय गुप्ता "अजेय"
यह रचना उस समय लिखी गई थी जब लॉकडाउन 3 में पंजाब व अन्य राज्यों के दबाव के कारण ठेके खोले गए थे और जिससे सड़कों पर लम्बी लम्बी लाइन लगा…
कोरोना योद्धाओं को सलाम - आलेख - संस्कृती शाबा गावकर
कोरोना वैश्विक महामारी ने अब तक पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। दुनिया भर में इस वाइरस की वजह से संक्रमण तथा मौत के आकड़े बढ़ते…
लॉकडाउन और बढ़ती बेरोज़गारी - निबंध - संस्कृती शाबा गावकर
क्या कोरोना के फैलने के खौफ से देशभर में लॉकडाउन की स्थिति पैदा कर बेरोज़गारी को जन्म दिया? दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस को विश्व स्व…
सेवा और रिश्ता - लघुकथा - उमाशंकर मिश्र
गुलाबी ठंडक पड रही थी और कोरोना के वजह से गाँव की पगडंडी पर कोई वाहन नही था आखिर लॉक डाउन का मतलब क्या है एक बुजुर्ग को एक युवा दंपति …
मजदूर, मालिक और कोरोना - कविता - सुधीर कुमार रंजन
हां, मैं मजदूर हूँ, आप मालिक फर्क सिर्फ इतना है कि- मेरा जन्म एक मजदूर के घर, और आपका एक मालिक के घर। मेरा जन्म हुआ हो, या आप…
हाय रे कोरोना - कविता - अंकुर सिंह
आज मन बड़ा व्याकुल है, कल के चक्कर में आज आकुल हैं। हाय रे कोरोना! हाय रे कोरोना ! तेरे चक्कर में जगत पूरा शोकाकुल है।। पूरे सा…
अच्छा लगता है - कविता - अनुभव मिश्रा
नफा-नुकसान चाहत का ओ अनुभव हम ना कुछ जानें। हमें बस उस कली का मुस्कुराना अच्छा लगता है।। कि जब खिड़की पे वो आए हवा का रुख बदल …
लॉकडाउन से मिलती सीख - कविता - अतुल पाठक
लॉकडाउन ने जीवन को इक आशा की किरण दिखलाई है लॉकडाउन में मानव के धैर्य की परीक्षा की घड़ी आई है लॉकडाउन को गम्भीरता से मानव को ले…
रचनात्मक बने - आलेख - सुषमा दिक्षित शुक्ला
रचनात्मक व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता। वह कभी बोर नहीं होता, क्योंकि वह व्यक्ति अपने अकेलेपन में भी कभी अकेला नहीं होता। शिल्प कला स…
बेशक कोरोना से लोगों के विचारों मे परिवर्तन - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कोरोना ने लोगों को बदल कर रख दिया है जबरदस्त परिवर्तन लाया है ये कोरोना। शायद कुदरत वर्तमान मानवीय प्रणाली को कुछ सिखान…
सुरक्षा लॉक डाउन की पाबंदिया हटाना समय की मांग एवं जरूरत - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सुरक्षा एवं जीवन यापन दोनों ही जीवन जीने के लिए अति आवश्यक है। लाक डाउन लगाना व समय की मांग पर ढीला करना , मानवीय जरूरत के दो ऐसे…
प्रवासी की वापसी - कविता - रुपेश कुमार
यह लॉक डाउन की है मार प्रवासी मजदूरों में मची है हाहाकार रोजी रोटी के छिन जाने से वह बन गए है बेबस और लाचार घर वापस आने को …
मजदूर इन लॉकडाउन - कविता - हेमेंद्र वर्मा
हाँ मैं मजदूर हूँ, पर अभी मैं मजबूर हूँ निकल पड़ा हूँ सड़कों पर पत्नी, बच्चे और हाथों में कुछ सामान लिये पता है लॉकडाऊन है, पर क्या…
लॉक डाउन की चुनौतियां ही भविष्य की उम्मीद हैं , इनसे बहुत कुछ सीखा है - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जानलेवा वायरस से पूरी दुनिया ने काफी कुछ सीखा है ।इस वायरस ने दुनिया को भविष्य में आने वाले संकट से वर्तमान में ही तैयारी करने की ज…
कोरोना वायरस ने लॉक डाउन में लेखन को एक नया आयाम दिया है - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कोविड-19 के चलते लोग घरों में रहकर पॉजिटिव बने रहने के लिए अपने स्तर से हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ,ऐसे में वक्त की नजाकत को देखते ह…
पितृ भक्ति - कविता - रूपेश कुमार
आजकल चर्चा में है एक नाम ज्योति कुमारी है जिसका नाम कर दिया उसने ऐसा काम बन गई उसकी नई पहचान देश विदेश में हो रहा गुणगान जिसे द…
हमने घर में रहना ठाना है - कविता - राजू शर्मा
तुम्हारा जन्म हुआ है चीन के वुहान में कोहराम मचा रखा है, पूरे संसार में तुम्हारा जो उद्देश्य है, हर व्यक्ति को बी…
लॉक डाउन में राहत सरकार ने दी है कोरोना ने नहीं - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
यह बात सभी को याद रखना चाहिए कि लॉक डाउन में राहत होने से बिल्कुल लापरवाही पूरी तरह बढ़ गई है तो यह लापरवाही का सौदा कहीं महंगा …
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