संदेश
वक़्त - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
यह वक़्त ही तो है जो हम सभी को सबक़ सिखाता है, बग़ैर इसके सिखाए इंसान समझ ही कहाँ पाता है। क्योंकि रहते हुए इसकी क़ीमत कहाँ समझ पाता है, औ…
बनता वो सिकंदर - दोहा छंद - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
मिलता है हर्गिज़ नहीं, फ़ुर्सत का कुछ वक़्त। पूजा समझें कार्य को, न समय गंवाए व्यर्थ।। करते हैं चिंता बहुत, सिर पे बोझ अनेक। परहित पर उपक…
वक़्त की आवाज़ - गीत - रमाकांत सोनी
वक़्त की आवाज़ है ये, समय की पुकार भी। तोड़े नियम सृष्टि के, नर कर लो स्वीकार भी। चीरकर पर्वत सुरंगे, सड़के बिछा दी सारी। वृक्ष विहिन…
वक़्त कब ठहरा - ग़ज़ल - श्रवण निर्वाण
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा तक़ती: 22 22 22 22 22 2 गर मायूस हुआ नाकामी से चहरा, कैसे वो सजे सिर पे जीत का सेहरा। उनसे ज़ख़्म…
समय - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
कब कौन चला जाए न जाने किसी बहाने से, इस कोरोना काल में जवान अधेड़ और सयाने से। असीम दुःख लगता है जब अपना ही अपनों को छोड़ कर पराया स…
वक़्त बहुत ही शर्मिंदा है - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती: 22 22 22 22 वक़्त बहुत ही शर्मिंदा है, आतंक अभी भी ज़िंदा है। फूल बहुत कोमल होता है, जैसे अब खार द…
एक पल - आलेख - सुधीर श्रीवास्तव
समय का महत्व हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है। इसी समय का सबसे छोटा हिस्सा है "पल"। कहने सुनने और करने अथवा महत्व देने में …
हाँ ज़िंदगी रो रही - कविता - माहिरा गौहर
वक़्त की मार है ग़मों का भरमार है, जलती लाशों की तपिश देख सूरज भी इस दौर का कम हैसियत-दार है। क़ब्र खंद, कफ़न बेच चलते हैं जिनके घर, उन्ह…
समझ वक़्त बदलाव नित - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मूल्यवान जीवन समय, कर पौरुष धर्मार्थ। प्रीति रीति सद्नीति पथ, करो त्याग परमार्थ।। इन्तज़ार करता नहीं, वक़्त चक्र गतिमान। कर जीवन उपयोग न…
वक़्त चला जाएगा - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
वक़्त कैसा भी हो भला कब ठहरा है? अच्छे दिन, सुनहरे पल भी आख़िर खिसक ही जाते हैं, कठिन से कठिन समय भी एक दिन चले ही जाते हैं। माना की हाल…
वक़्त नाज़ुक है बेशक गुज़र जाएगा - ग़ज़ल - कृष्ण गोपाल सोलंकी
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 212 हौसलो से हमारे संवर जाएगा, वक़्त नाज़ुक है बेशक गुज़र जाएगा। है क़हर ये कोर…
वक़्त बदल रहा है - कविता - संदीप कुमार
ऐसा लगता है जैसे वक़्त बदल रहा है। कई लोग हमसे बेवज़ह, दूर होते नज़र आ रहे हैं। हम भी ज़िन्दगी से, मजबूर होते नज़र आ रहे हैं। आज तक नहीं कि…
समय - कविता - विनय "विनम्र"
ये रेत के अवसर पर समय के पदचिन्ह सागर मिटाने को है आतुर लग रहा कुछ खिन्न। चिंतन चिता में सोच उसकी, निरंतरता के तार को कितना ग्रहण मैं …
वक़्त - कविता - संजय राजभर "समित"
हाँ मैं वक़्त हूँ, परिवर्तन हूँ। देखा है अनंत काल से और देखता रहूँगा अब विचलित होता नही मैं वीभत्स से महा प्रलय से सुख-दुःख से हास्य-व…
वक़्त का पहरा - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
घड़ी चल रही है पल पल वहीं दिन ढल रहा है पग-पग वहीं, न जाने ये कैसी पहेली जगी अजब ज़िंदगी की पहेली जगी, न जाने कोई कल की गुज़रा कहीं न …
अरमान - कविता - तेज देवांगन
दिल में ना जाने कितने अरमान लिए, आँखों में एक नई पहचान लिए। यूँ तन्हा खड़ा हूँ मैं। दुनिया की रुसवाई सहकर, दोस्तो को हरजाई कहकर, खुद स…
जाने कितना वक़्त लगेगा - गीत - डॉ. अरविंद श्रीवास्तव "असीम"
जाने कितना वक़्त लगेगा उत्तर पाने में मुझको अपना भला लगा गूंगा बन जाने में। उगते सूरज के स्वागत में हाथ जोड़ सब खड़े हुए अंधकार से लड…
वक़्त ख़ूब लगता हैं - कविता - कर्मवीर सिरोवा
नये-नये कोई भी हो सवाल, रटने में वक़्त ख़ूब लगता हैं। अभी-अभी तो शुरू हुई हैं कक्षा अपनी, साथियों संग गप-शप करने में वक़्त ख़ूब लगता हैं…
वक़्त की पुकार - कविता - आशुतोष यादव
खामोशी का ताला हटा, कर दो जज्बातों की बारिश। आँच न आये कुल की जमीर पर, उजागर कर वंशज की परवरिश। बहुत तपे उल्फ़त की तपिश में, वक़्त की …
वक्त सुन कुछ बोलता है - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
हर कदम निर्भय बढ़ाना दृष्टि मंजिल पर गड़ाना, राह की उलझन अमित से मन विकल क्यों डोलता है? वक्त सुन कुछ बोलता है। …
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