संदेश
बसंत का त्यौहार - कविता - बिंदेश कुमार झा
शीत के प्रताप प्रभाव हो रहा व्याकुल संसार, प्रसन्नता का आयाम लेकर आया बसंत का त्यौहार। सो रही कलियाँ उठ रही है अँगड़ाई लेते, वायु सँजोए…
हे! मृदु मलयानिल अनुभूति - कविता - राघवेंद्र सिंह
हे! अंतस की चिर विभूति, हे! मृदु मलयानिल अनुभूति। तुमसे ही होते मुखर भाव, कम्पित पुलकित दृग के विभाव। तुम लेकर आती नव विहान, द्रुत चपल…
मुझे देखकर अब उसका शर्माना चला गया - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
मुझे देखकर अब उसका शर्माना चला गया, राह देखने वाला आज ज़माना चला गया। जैसे बच्चे जीते बेफ़िक्री में जीवन को, आज बुज़ुर्गों से उनका डर जान…
लौट फिर बसन्त आया - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
पीत वर्णी पुष्पित ओढ़ चुनरिया, निज आँगन वसुंधरा ने सजाया। फैला चहुँओर उत्साही नज़रिया, लगता लौट फिर बसन्त आया। बगिया में ठूॅंठ सा खड़ा…
मौन बना महाशस्त्र - कविता - छगन सिंह जेरठी
किसी अनजाने ग़म ने घेरा है, तभी से ख़ामोशी का डेरा है। फिर मौन बना महाशस्त्र... एक अकेला क्या करता मैं, डरता ना तो फिर मरता मैं। फिर मौन…
विश्वास रखो मैं लौटूँगा - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रोना मत सजनी विरही बन, विश्वास रखो मैं लौटूँगा। सुन लो पुकार तुम सीमा पर, सीमांत विजय कर लौटूँगा। भारत पड़ोस सुन लो गर्जन, प्रिय सिं…
बदलते हालात - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
अच्छी बातें अच्छी लगती, अच्छों का दे साथ। बुरे स्वयं मर जाएँगे जब, बदलेंगे हालात। पथ कहाँ कब एक रहा, रही हिलती-डुलती साख। सूरज आख़िर न…
हे राम! - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हे राम! तुम्हारे जीवन की झाँकियाॅं, मेरे अंतर्मन को रुदन जल से अभिसिंचित कर, कृतार्थ करती है, जो मुझे पुण्य मार्ग के तरफ़ प्रवृत्त करती…
धरे रहे सब ख़्वाब - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
धरे रहे सब ख़्वाब, आँखें बोझिल थी। आसूँ की सौग़ात, सावन को भी मात, हाथों में नहीं हाथ, छूटा स्नेह का साथ, पर मधुर रहा बोल, शायद कोयल थी।…
शिक्षा, ज्ञान और विद्यार्थी - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
लगता है हार रहा हूँ मैं, ख़ुद से, या ख़ुद को, जो सपने सँजोए वो शायद मेरे थे ही नहीं, जो हैं तो, लगता है थोपे गए है, बचपन से तुलना मेरी ह…
शिशिर सुंदरी - कविता - सतीश पंत
नवल भोर संग धवल कुहासा शिशिर ओढ़ जब आई, वसुंधरा से शैल शिखर तक मेघावली सी छाई। शिशिर सुंदरी रूप मनोहर देख देह सकुचाई, शीत वायु के प्रब…
एक बार प्रिये - गीत - सुशील कुमार
तुझपे तन मन सब वारु मैं बस तुझको अपना मानू मैं जीवन की सारी ख़ुशियाँ कर दूँ तुझपे न्योछार प्रिये तू कह दे बस एक बार प्रिये तुझको मुझसे…
कील - कविता - संजय राजभर 'समित'
कील ने कहा– "हमारी प्रकृति है चुभना और यह आप पर निर्भर है मुझे कहाँ चुभाना चाहते हो दीवार पर, दरवाज़े पर या आलमारी में पर मैं हमेश…
पहली कविता - कविता - इमरान खान
पहली कविता इतिहास की पहली कविता! मैंने तुम्हें, तमाल का फूल भेंट करते हुए सुनाई थी! कल्पना के संसार में! वो कल्पना कोरी कल्पना थी! कल्…
कविता की तस्वीर - कविता - लालता प्रसाद
ख़ामोशी का आलम है अपने अरमा कहाँ उतारे, शब्द; कलम संग पन्नो पर कविता की तस्वीर सँवारे। शब्द आत्मा बने, पटल पर; काया पन्ना हो जाए, छंदो…
अमर वीर जवान - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
राष्ट्र शौर्य बलिदानियों, भारत सैन्य जवान। तन मन धन अर्पण स्वयम्, जीवन अमर महान॥ नमन सैन्य की वीरता, नमन साहसी धीर। करे देश सीमांत …
डोरी से बंधी आज़ाद पतंग - कविता - निवेदिता
सोच रही हूँ, क्यों ना आज अपना परिचय दे दूँ। मैं पतंग, हाँ वही आसमान में उड़ने वाली, ऊँचाइयों को छूने वाली। सोच रही हूँ क्यों न आज हक़ीक़…
रेत में दुख की - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
आओ फिर से उठे, बेहतर में मिल जाएँ। रेत में दुख की, कुसुम सम खिल जाएँ। गहरे हैं सन्नाटे, गहरी है विषाद की रेखा। दूजों की बात करें क्यों…
इक ख़ुमारी है बे-क़रारी है - ग़ज़ल - रोहित सैनी
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1212 22 इक ख़ुमारी है, बे-क़रारी है, रूह प्यासी है, मन भी भारी है। इक सदी है कि जो गुज़र ग…
जय श्री राम - कविता - केशव सैनी
लहराए भगवा, बाजै मृदंग जलाए दीप, गाजै गगन करोड़ो कुसुम लिए मधुर मुस्कान राजीवलोचन मेरे नयनाभिराम सत्य, संकल्पित, स्वर्णिम नाम जय श्री …
अखिल विश्व के स्वामी राम - गीत - सुशील शर्मा
अखिल विश्व के स्वामी राम, भक्तों के अनुगामी राम। माँ कौशल्या के राजदुलारे, कैकई माता के हैं प्यारे। नेह भरी सुमित्रा माई, लखन शत्रुघ्न…
मेरे श्रीराम आए हैं - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चलें अयोध्या धाम मेरे श्रीराम आए हैं। सजे अवध सुखधाम, किशोरी श्याम आए हैं। ख़ुशियाँ फैली अविराम, लखन सत्काम आए हैं। भरत लाल हनुमान, …
जन-जन के आराध्य राम हो गए - कविता - मयंक द्विवेदी
कौशल्या के लाल, रघुकुल भाल, जनक दुलार, कैसे षडयन्त्र का शिकार हो गए, अपने ही घर बेदख़ल निकाल हो गए। शबरी के राम, केवट प्रणाम, करे बार-ब…
आज घर-घर दिए फिर जलाएँगे हम - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
खिल उठे दिल, पड़े श्रीराम के क़दम, आज घर-घर दिए फिर जलाएँगे हम। आपका शुभ दरस पा गए आज हम, आज सार्थक हुआ है ये मेरा जनम। आज घर-घर दिए फिर…
तो ज़िंदगी है - कविता - ऋचा सिंह
धूप में खोजे है छाँव, छाँव में गुमसुम-सी है ये अनमनी जो है तो ज़िंदगी है। रात में करवट जो बदले भोर भए उम्मीद-सी है, ये आस जो है तो ज़िं…
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